top of page
The Faithbook Blog


शकट कथा
राजा हस्तिपाल की दानशाला में बारह पर्षदाएँ विराजमान थीं। अमावस्या की रात्रि थी, सर्वत्र नीरव शांति थी। प्रभु वीर जगत के कल्याण के लिए...
Aacharya Shri Mahabodhi Suriji Maharaj Saheb
Apr 25, 20239 min read
0


अभग्नसेन कथा
अमावस्या की मध्यरात्रि बीत चुकी थी। राजा हस्तिपाल की दानशाला में विराजमान प्रभुवीर ने विपाकसूत्र के पाप विपाक के तीसरे अध्ययन का आरंभ...
Aacharya Shri Mahabodhi Suriji Maharaj Saheb
Apr 25, 202312 min read
0

पर्युषण के पांच कर्तव्य
“पर्वाणि सन्ति प्रोक्तानि, बहुनि श्री जिनागमे । पर्युषणां समं नान्यत, कर्मणां मर्मभेदकृत् ।।” भूमिका : वर्ष में (साल में) बारह मास होते...
Aacharya Shri Mahabodhi Suriji Maharaj Saheb
Sep 23, 20208 min read
0

उज्झितक कथा
पाप विपाक नामक प्रथम अध्ययन पर देशना फरमाने के उपरान्त परमात्मा वीर प्रभु ने द्वितीय अध्ययन का प्रारंभ किया। इस जम्बू द्वीप के भरत...
Aacharya Shri Mahabodhi Suriji Maharaj Saheb
Jul 13, 202015 min read
0

मृगापुत्र कथा
प्रभु ने मृगापुत्र का दृष्टान्त विस्तार से बताना शुरू किया। इसी जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में मृगाग्राम नामक एक नगर था, वहाँ विजय नामक...
Aacharya Shri Mahabodhi Suriji Maharaj Saheb
Jun 7, 20208 min read
0

तेणं कालेणं तेणं समएणं
कार्तिक अमावस की रात्रि के दो प्रहर बीत चुके थे, तीसरा आरा समाप्ति की कगार पर था, सोलह प्रहर से भी अधिक समय तक समवसरण में लगातार देशना...
Aacharya Shri Mahabodhi Suriji Maharaj Saheb
May 10, 20203 min read
0
From the significance of daily rituals to the profound teachings of Jainism,
our blogs offer a treasure trove of knowledge
Languages:
Top Posts






Categories:
bottom of page