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The Faithbook Blog
Panyas Shri Dhananjay Vijayji Maharaj Saheb
Apr 11, 20215 min read
शिकायत नहीं किन्तु सक्रियता
अनन्त भवों में भटकते हुए एकत्रित की गई पुण्यराशि के प्रभाव से हमें लोकोत्तर जिनशासन की प्राप्ति हुई है। इस अद्भुत जिनशासन की प्राप्ति...
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Priyam
Apr 11, 20215 min read
आत्मीयता की संवेदना
स्वामित्वाभिमान जिसमें कुछ पाने की वृत्ति है, या पा लेने का गुमान है। मैं आपको पूछता हूँ – संघ की सेवा करके हमें चाहिये क्या? नाम, पद,...
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Panyas Shri Nirmohsundar Vijayji Maharaj Saheb
Apr 11, 20215 min read
Everything is Online, We are Offline 4.0
गत अंक में हमने इसी मंच से ऐलान किया था कि, आने वाला कल बहुत ही खतरनाक होने जा रहा है, जिसमें हमारा विकास के पीछे का पागलपन जिम्मेदार...
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Aacharya Shri Atmadarshan Suriji Maharaj Saheb
Apr 11, 20215 min read
मैं एकलवीर एकलव्य
द्रोणाचार्य की पाठशाला में अलग-अलग राजकुमारों ने युद्धकला आदि अनेक प्रकार की विद्याएँ प्राप्त की थी। अमुक्त और करमुक्त ऐसे शस्त्रों की...
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Aacharya Shri Abhayshekhar Suriji Maharaj Saheb
Apr 11, 20217 min read
फर्ज अदा करें वरना कर्ज चढ़ जाएगा।
पिछले लेख के अंतर्गत आखिर में यह प्रश्न किया गया था कि नौकरी करने वालों के लिए नीति और प्रामाणिकता क्या होती है? इसका उत्तर यह है कि उसको...
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Sanjay Bhai Vakhariya
Apr 11, 20212 min read
कुटीर का दिया
कुटीर के भीतर की दुनिया को उज्ज्वलित करने की हिम्मत जब चाँद सितारों ने ना दिखाई, सूरज का तेज भी जब गुफाओं और खंडहरों में ना पहुँच सका, तब...
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Muni Shri Shilgun Vijayji Maharaj Saheb
Apr 11, 20215 min read
Temper : A Terror – 8
(मित्र अमरदत्त की स्वप्नसुंदरी रत्नमंजरी के पास पहुंचने के लिए मित्रानन्द ने अक्का के पास से राजमहल का नक्शा लिया और पूरी जानकारी भी ली।...
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Muni Shri Krupashekhar Vijayji Maharaj Saheb
Apr 11, 20213 min read
कुर्सी या खुशी ?
“पप्पा ! मुझे नए कपड़े दिलाओ ना! कल दिवाली है। मेरी सभी सखियाँ दो दिन से नए-नए कपड़े पहनकर घूम रही हैं। मुझे पुराने कपड़े पहनकर जाने में...
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Muni Shri Tirthbodhi Vijayji Maharaj Saheb
Apr 11, 20213 min read
गोशाला V/s गौतम
Hello Friends! परमात्मा बनने की सफ़र में हम अग्रसर हैं। आज एक बहुत महत्त्वपूर्ण पद पर हम विचार करेंगे। आज का हमारा पद है – ‘श्री विनय पद।’...
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Priyam
Apr 11, 20215 min read
‘मैंने कुछ भी नहीं किया है।’
संघ संवेदना परम पावन श्री भगवतीसूत्र में एक घटना का वर्णन है। चमरेन्द्र के अपराधी सिद्ध होने के कारण सौधर्मेन्द्र ने उन पर वज्र छोड़ा।...
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Panyas Shri Nirmohsundar Vijayji Maharaj Saheb
Apr 11, 202111 min read
चिकित्सा : रोग से भी भयानक ???
[यह लेख किसी राजेश जी आर्य ने लिखा हुआ है और अंग्रेजी भाषा में डॉ. बिश्वरूप रॉय चौधरी की ऑनलाइन मैग्जीन में छपा है, मगर सांप्रत कालीन...
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Aacharya Shri Atmadarshan Suriji Maharaj Saheb
Apr 11, 20216 min read
मैं कर्ण : सवाया अर्जुन
महाभारत के पात्रों में नेत्रदीपक पात्रों के रूप में विपुल प्रेरणा देने वाले पात्रों के रूप में पहले श्रीकृष्ण आते हैं, तो लगभग उनकी...
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Aacharya Shri Abhayshekhar Suriji Maharaj Saheb
Apr 11, 20216 min read
जीव बिना सुख के नहीं रह सकता है।
हमने पिछले लेख में देखा था कि कोई भी व्यक्ति, वस्तु या प्रवृत्ति जीव को सुख नहीं दे सकती, ना ही दे रही है, बल्कि जीव का खुद का रस ही खुद...
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Muni Shri Shilgun Vijayji Maharaj Saheb
Apr 11, 20215 min read
Temper : A Terror – 7
(सोपारक नगर में रात भर जाग के मृतक की रक्षा की। नगर को मारी से बचाया। सेठ ने कहा था कि यदि तू रात भर जागकर मृतक की रक्षा करेगा तो तुझे ...
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Muni Shri Krupashekhar Vijayji Maharaj Saheb
Apr 11, 20213 min read
दिल जीतने की जड़ी-बूटी
जंगली विस्तार में रहने वाली एक स्त्री के अपने पति के साथ बहुत अच्छे संबंध नहीं थे। उसे हमेशा ऐसा ही लगता था कि उसका पति उसे प्रेम नहीं...
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Muni Shri Tirthbodhi Vijayji Maharaj Saheb
Apr 10, 20214 min read
Holy Vision
नमस्ते मित्रों ! C.A को किसी पेशन्ट का हार्ट का ऑपरेशन करने का कहो, वह मना कर देगा, डॉक्टर को किसी मल्टीनेशनल कंपनी का रीटर्न क्लीयर करने...
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Panyas Shri Dhananjay Vijayji Maharaj Saheb
Apr 10, 20216 min read
समन्वय की शक्ति
किसी एक आश्रम में गुरुजी के दो शिष्य थे। दोनों शिष्यों के मन में एक-दूसरे के लिए अत्यन्त ईर्ष्या-भाव था। छोटी-छोटी बातों को लेकर दोनों...
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Priyam
Apr 10, 20215 min read
जिनशासन : एक वटवृक्ष
संघत्याग सुमितभाई होस्पिटलाईज्ड हुए। उनका मित्र खबर पूछने गया। तबियत पूछी, लगभग कुछ भी अच्छा नहीं था। तीन फ्रेक्चर, बुखार, उल्टी, पीड़ा,...
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Panyas Shri Nirmohsundar Vijayji Maharaj Saheb
Apr 10, 20215 min read
Everything is Online, We are Offline 3.0
विगत दो लेखों से लगातार हम Online के दुष्परिणामों को बताते आ रहे है। उसी कड़ी में आज, इस Online के और एक खतरनाक पहलू की ओर आपका ध्यान...
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Panyas Shri Labdhivallabh Vijayji Maharaj Saheb
Apr 10, 20212 min read
प्रयोजनशून्यता ही पूर्णता है।
प्रभु गर्भ में भी पूर्णजागृत थे। गर्भ सृजन का स्थान है, सृजन शरीर का होता है। प्रभु सृजन से परे हैं। जो नजदीक है, इतना पास कि आप उसे पास...
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