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The Faithbook Blog
Priyam
Apr 19, 20235 min read
मेरे भ्रम का पोटला।
घर अपने वालम कहो रे, कौण वस्तु नी खोट? यदि आपको अपने घर में सोना ही सोना दिखाई दे, और दुनियाभर में धूल ही धूल दिखाई दे, तब समझ लेना कि अब...
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Priyam
Apr 19, 20236 min read
वस्तु की खोट?
लगत पिया कह्यो माहरो रे, अशुभ तुम्हारे चित्त; पण मोथी न रहाय पिया रे, कहा बिना सुण मित्त। …03 प्रिय! मेरी बात तुम्हें अच्छी नहीं लग रही...
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Priyam
Apr 18, 20236 min read
मोक्षद्वार का उद्धाटन
सुनी सुमता की विनती रे, चिदानंद महाराज। कुमता नेह निवार के प्यारे, लीनो शिवपुर राज॥ सुमता की विनती सुनकर चिदानंद महाराज ने कुमता के प्रति...
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Priyam
Apr 9, 20235 min read
पिया, पर-घर मत जाओ रे…
पूज्य चिदानंद जी महाराज रचित प्रथम अध्यात्म-पद परिशीलन स्व में समा जाने का स्वर्णिम अवसर प्रश्न के प्रश्न का प्रश्न परिणति होगी या नहीं,...
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Priyam
Nov 4, 20215 min read
अनोखी अस्मिता
अस्तित्वाभिमान : I am something. यह अस्तित्वाभिमान है। मैं कुछ हूँ, दिमाग के इस भूसे से (पारे से) जमीन से ऊपर चलने वाला इंसान एक कच्ची...
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Panyas Shri Labdhivallabh Vijayji Maharaj Saheb
Nov 1, 20212 min read
आत्मा स्वयं है, स्वयंभू है, वो ही प्रभु है।
परमात्मा देह को संयोग के रूप में धारण करते हुए भी स्वरूप से देह को धारण नहीं कर रहे थे। धारण करने के लिए धारणा चाहिए, और धारणा उसकी की...
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Panyas Shri Labdhivallabh Vijayji Maharaj Saheb
Apr 11, 20212 min read
त्रिकाल प्रस्तुत जीवन
माता त्रिशला रानी ने जब चैत्र शुक्ल त्रयोदशी की रात्रि में प्रभु के पार्थिव पिंड को जन्म दिया, उससे पूर्व प्रभु ने जन्मातीत तत्त्व को...
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Muni Shri Shilgun Vijayji Maharaj Saheb
Apr 11, 20215 min read
Temper : A Terror – 7
(सोपारक नगर में रात भर जाग के मृतक की रक्षा की। नगर को मारी से बचाया। सेठ ने कहा था कि यदि तू रात भर जागकर मृतक की रक्षा करेगा तो तुझे ...
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Panyas Shri Labdhivallabh Vijayji Maharaj Saheb
Apr 10, 20212 min read
प्रयोजनशून्यता ही पूर्णता है।
प्रभु गर्भ में भी पूर्णजागृत थे। गर्भ सृजन का स्थान है, सृजन शरीर का होता है। प्रभु सृजन से परे हैं। जो नजदीक है, इतना पास कि आप उसे पास...
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Panyas Shri Labdhivallabh Vijayji Maharaj Saheb
Apr 10, 20212 min read
सर्वस्वीकार की साधना
माता त्रिशला के हृदय की संवेदना इतनी गहरी थी, उनका पुत्र-राग इतना था, कि पुत्र-वियोग आयुष्य को उपक्रांत कर सकता था…। प्रभु खुद को...
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Panyas Shri Shatrunjay Vijayji Maharaj Saheb
Nov 11, 20205 min read
विशुद्धि चक्र ध्यान
( क्रमांक 1 से 6 तक मूलाधार चक्र ध्यान के मुताबिक ध्यान करने के पश्चात ) फिर विचार कीजिए कि दूर क्षितिज से गहरे नीले, Grey या Navy Blue...
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