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The Faithbook Blog
Panyas Shri Labdhivallabh Vijayji Maharaj Saheb
Feb 28, 20222 min read
अस्तित्व अपरिवर्तित होता है।
प्रभु का जन्म होते ही सृष्टि में आल्हाद हुआ, प्रकृति में स्वयंभू उत्सव होने लगा, जलवायु की चेष्टाएँ प्रसन्न नजर आने लगीं, दिशाएँ उद्योतमय...
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Panyas Shri Labdhivallabh Vijayji Maharaj Saheb
May 18, 20212 min read
प्रभु की शुद्ध चेतना……
माता से अलग होना अगर भौतिक जन्म है, तो शरीर से अलग होना आध्यात्मिक जन्म है। अलग हुए बिना जन्म नहीं होता, प्रभु गर्भ में थे तो माता के साथ...
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Panyas Shri Labdhivallabh Vijayji Maharaj Saheb
Apr 14, 20212 min read
प्रभु का जन्म : शरीर और आत्मा का मिलन
प्रभु महावीर माता त्रिशला रानी के गर्भावास से, शरीर से पूर्ण निष्पन्न होकर निष्क्रमण प्राप्त करने को हैं, जन्म होने को है….. और पूरा...
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Panyas Shri Labdhivallabh Vijayji Maharaj Saheb
Apr 11, 20212 min read
त्रिकाल प्रस्तुत जीवन
माता त्रिशला रानी ने जब चैत्र शुक्ल त्रयोदशी की रात्रि में प्रभु के पार्थिव पिंड को जन्म दिया, उससे पूर्व प्रभु ने जन्मातीत तत्त्व को...
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Panyas Shri Labdhivallabh Vijayji Maharaj Saheb
Sep 25, 20202 min read
देहनिर्माण में दृष्टा भाव
त्रिशला रानी के गर्भ में जो भी घटित हो रहा था, उसे अघटित होकर देख रहे थे प्रभु। विश्व के सर्वश्रेष्ठ परमाणुओं के गठन से शरीर का संपादन...
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