top of page
Muni Shri Akshaykirti Vijayji Maharaj Saheb
Writer
More actions
Profile
Join date: Mar 22, 2024
About
प्राचीन साहित्यों में तीन चीजों को रत्न की उपमा दी गई है, जल, अन्न और सुभाषित। इनमें से सुभाषित रत्न का जगमगाता प्रकाश पू. मुनि भगवन्त हमारे समक्ष लेखमाला के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। संस्कृत से संस्कृति का सन्देश देने वाला यह लेख युवावर्ग बड़े चाव से पढ़ेगा।
Posts (5)
Nov 7, 2020 ∙ 3 min
Secret of Work
“सहसा न विदधीत क्रियाम्, अविवेकः परमापदां पदम् । वृणुते हि विमृश्यकारिणं गुणलुब्घा: स्वयमेव सम्पद:।।” छगन : अरे मगन! तुम क्या करते हो?...
7
0
Sep 23, 2020 ∙ 3 min
सद्बुद्धि से सन्मार्ग की प्राप्ति, सन्मार्ग से सद्गति की प्राप्ति
संस्कृत का एक सुंदर सुभाषित है। विपत्तिकाले समुत्थाने, बुद्धिर्यस्य न हीयते। स एव दुर्गतिं तरति, जलस्थो वानरो यथा।। इस सुभाषित का कथा...
2
0
Sep 23, 2020 ∙ 4 min
TIME IS DIVINE CURRENCY
!! ‘नष्टं द्रव्यं लभ्यते कष्टसाध्यम्, नष्टारोग्यं सूपचारैः सुसाध्यम् !! !! नष्टा विद्या लभ्यतेSभ्यासयुक्ता, नष्टा वेला या गता सा गतैव !!...
0
0
bottom of page