
चिंटू: “पिंटू! लोगों का ध्यान खींचने के लिए क्या करना चाहिए?”
पिंटू: “किसी भी छोटी सी बात को बड़ा स्वरूप दे दो!”
इतने में नौकर चाय लेकर आया। पिंटू तुरंत चिल्लाने लगा, “अरे! तुझे चाय के अलावा कुछ दिखता ही नहीं है। सुबह से चाय... चाय…”
सुनकर चिंटू भी स्तब्ध हो गया। उसने पूछा, “इतनी छोटी सी बात में तू इतना क्यों गरम हो गया?”
पिंटू: “तुझे बताने के लिए कि, लोगों का ध्यान अपनी और कैसे खींच सकते हैं?”
ठीक बात है। 'येन केन प्रकारेण प्रसिद्धिमाप्नुयात' किसी भी प्रकार से प्रसिद्धि ही तो पानी है। लोगों का ध्यान अपने पर जाए नहीं, तो अपनी उपस्थिति का क्या महत्त्व? जब मनुष्योत्तर प्राणी अपने अस्तित्व का जंग खेल रहे हैं, तब मनुष्यो में प्रभुत्व और व्यक्तित्व के लिए बड़ी जंग हो रही है।
राई का पहाड़ बनाने वाले, बात का बतंगड़ करने वाले, छोटी बातों के लिए भी हल्ला मचाने वाले, शोर मचाने वाले यह कार्य दूसरों का ध्यान खींचने के लिए करते हैं। जब दूसरे अपने-आप में या अन्य किसी में व्यस्त होकर आपकी ओर ध्यान नहीं देते हैं, तब उपेक्षा का बोझ लगने लगता है, और उसके बाद ध्यान आकर्षित करने की तरह-तरह की युक्तियाँ प्रकट हो जाती है।
इसी की वजह से कईं बार भूत, प्रेत, भैरव, पद्मावती आदि शरीर में दाखिल हुए दिखते हैं। यह हकीकत में कोई देवी-देवताओं का शारीरिक प्रवेश नहीं होता है, पर असंतुष्ट मन की उभरी हुई विचित्र भावनाओं का प्रभाव है।
जो लोग परमार्थ, परोपकार और जगत के लिए अपने आप को कष्ट देकर, अच्छे कार्य नहीं कर सकते हैं, वे लोग हल्ला-गुल्ला करके जगत को अपनी ओर देखने के लिए मजबूर करते हैं।
खुद के द्वारा पहने हुए सोने के कंगन पर किसी का ध्यान नहीं गया, तो एक माजी ने रात को अपनी झोपड़ी जला दी, जिससे उसकी ज्वालाओ के प्रकाश में लोग उसके कंगन को देख सके!
लाखों रूपए के गहने, नई-नई महंगी साड़ियाँ, तरह-तरह की कॉस्मेटिक आइटम आदि किसके लिए हैं?
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