सारे भगवान की जय
- Aacharya Shri Ajitshekhar Suriji Maharaj Saheb
- Oct 16, 2024
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चिंटू : “पिंटू! तू मेरा भी रिजल्ट देख कर आना। मैं पापा के साथ बैठा रहूँगा।
यदि एक विषय में फेल हुआ तो जय श्रीकृष्ण कहना, दो विषय में उड़ा तो, जय श्री राम कहना, और तीन विषय में फेल हुआ तो जय भोलेनाथ कहना।”
पिंटू का स्कूल से फोन आया।
चिंटू ने पूछा : “रिजल्ट कैसा रहा?”
पिंटू : “सारे भगवान की जय।”
यानि कि चिंटू सभी विषयों में फेल हुआ है और सच बात है, कहीं पर भी फेल या निष्फल होते हैं, मुश्किल में फंस जाते हैं तब प्रभु ही याद आते हैं ना!
भगवान है या नहीं, यह तार्किकों की चर्चा का श्रेष्ठ विषय है, पर श्रद्धालुओं के लिए तो जीवन का आधार है। निष्फल, परेशान या फेल होने वालों के लिए सहारा, आसरा और आलंबन प्रभु का ही होता है। प्रभु मेरे हैं, प्रभु की कृपा से ही मेरा सब अच्छा होगा, प्रभु की करुणा अविरत बरस रही है, इसलिए फिलहाल जो बुरा होता हुआ दिख रहा है, वह भी अंत में भले के लिए ही होगा।
यह आधार, या आश्वासन निष्फलता और निराशा के बीच भी जीव को सिर्फ जिंदा ही नहीं, पर हंसता हुआ भी रख सकता है। जिसे प्रभु पर श्रद्धा नहीं है, या एक दो अनहोनी हो जाने से प्रभु के प्रति आस्था डगमगा गई हो, और जिसने नास्तिकता का चोला पहन लिया हो, वह ऐसे अवसर में हताशा-डिप्रेशन का शिकार हो जाता है और आत्महत्या तक कदम बढ़ा लेता है।
भयंकर दुष्काल, लूटपाट, अत्याचार, आफतों के बीच में पिछले डेढ़ हजार सालों से भारत की प्रजा जिस तरह टिकी की हुई है, उसमें मुख्य हिस्सा इस श्रद्धा का है। नास्तिकता का पवन जब से फूंक रहा है; तब से आत्महत्या का प्रमाण बढ़ गया है। पश्चिमपरस्ती के कारण नास्तिकता, और वर्तमान सुख की प्राप्ति के लिए दौड़ बढ़ गई है, पर पैसा, पुरुषार्थ, पुण्य पहुँच नहीं पा रहे हैं।
चलो, हम भी सर्वत्र भगवान की जय बोलते रहेंगे।
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