1) एज्युकेशन कल्चर –
एक स्कूल के प्रिंसिपल ने डिमांड की यदि 10th की लड़कियाँ मेरे साथ दुराचार करती हैं तो मैं उन्हें पास करूंगा। एक 9 साल की प्रतिष्ठित जैन परिवार की लड़की जब स्कूल से घर आई तब से बहुत ही उदास लग रही थी।
परिवार वालों के बहुत आग्रह करके पूछने पर पता चला की उसके सर ने उसके साथ दुष्कर्म जैसा घिनौना कार्य किया था जिससे अभी भी बहुत दर्द हो रहा है।
उत्तराध्ययन निर्युक्ति कहती है-
जत्थ राया सयं चोरो भंडिओ य पुरोहिओ।
दिसं भयह णागरया जायं सरणओ भयं।।
जहाँ राजा स्वयं ही चोर है और पुरोहित भी दुराचारी है,
तो हे नगरजनों! आप भाग खड़े हो जाओ क्योंकि
यहाँ तो शरण से ही भय हो गया है।
गर्ल्स हॉस्टल की दारुण कथा
एक हॉस्टेल, जो केवल गर्ल्स के लिये थी। उसके आगे वाली कि गटर लाइन बन्द (चॉप) हो गयी। सफ़ाइवालों को बुलवाया गया, ढक्कन खोला गया, कचरा बाहर निकलवाया तो सब की आँखें शर्म से झुक गई, कचरे में दुराचारों के साधनों का ढेर था।
बेंगलोर में सातवीं-आठवीं के बच्चों की स्कूल बेग्स चेक की गई। वोटर बॉटल से शराब मिली। बेग्स से दुराचारों के साधन व नशीली दवाइयाँ मिली।
अंकलेश्वर की जानी-मानी स्कूल से लड़के-लड़कियों का समूह पिकनिक के लिये गया। होटल में रात को लड़कों के कमरों में पूरी रात लड़कियाँ रही। सुबह बाहर निकली तो कमरों में से शराब की ख़ाली बोतले मिली।
अहमदावाद में एक जैन परिवारों की यात्रा निकली उसमें 6th-7th पढ़ने वाली लड़कियों ने एक श्रावक को बताया कि स्कूल्स में क्याँ क्याँ हो रहा है। उनकी बात सुनकर श्रावक की आँखों में आँसु आ गये।
जहाँ 2nd-3rd Std से ही यदि कोई बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड नहीं है तो शरमाना पड़ता है। जहाँ अभद्र यूनिफॉर्म, अभद्र गालियाँ, अभद्र आदतें, अभद्र चेष्टायें कोमन हैं। जहाँ 4th-5th से ही व्यभिचार शुरू हो जाते हैं, जहाँ संस्कारों का अग्निसंस्कार हो जाता है। जिसके लिये आप लाखों रुपयों का पानी कर देते हो, जिसे एक धंधा समझते हुए भी यूनिफॉर्म, टेक्स्टबुक्स, शूज, ट्रांसपोर्टेशन, प्रोजेक्ट्स – हर तरह की धोखाबाजी के शिकार होते हैं। यह समझकर कि इससे उसका भविष्य बन रहा है। उसका भविष्य बन नहीं रहा है, उसके भविष्य का सत्यानाश हो रहा है। आप उसे पढ़ा नहीं रहे हैं, आप उसकी आपत्तियाँ बढ़ा रहे हैं। आप किसी स्कूल/कॉलेज में 12 घंटे रहकर उसे हर तरह से जाँचें, आप अपनी संतान को वहा रखना हरगिज़ पसंद नहीं करोगे। बुद्धि के बादशाह होते हुए भी आप इतने बुद्धू और बेवकूफ़ क्यूँ बन रहे हैं?
आपकी जो सांसारिक आवश्यकताएँ हैं, अच्छी डिग्री, अच्छे संस्कार, वे स्कूल-कॉलेज के बिना ही ज़्यादा संभवित है। मुंबई में पूज्य मुक्तिवल्लभ सूरिजी म.सा. पूज्य चित्शेखरविजयजी म.सा. आदि की प्रेरणा से आदि एकेडमी एक अच्छे ऑप्शन के रूप में धूम मचा रही है। मलाड, घाटकोपर, गोरेगाँव नयी नयी शाखाएँ खुल रही हैं। गुजराती, हिन्दी, इंग्लिश, संस्कृत, मैथ्स और अच्छे संस्कार। डायरेक्ट 5th की Exam, डायरेक्ट 10th की Exam यदि आप चाहते हैं कि आपका बेटा श्रवण बने, आखरी साँस तक आपकी सेवा करे, वह व्यभिचार, व्यसन, गालियाँ एवं इंटरकास्ट मेरिज से अपना और आपका भविष्य बर्बाद न करे, तो आप अपने संघ में भी ऐसा ऑप्शन बनाने के लिये आगे आयें।
वेस्टर्न इफेक्ट से
2) वेस्टर्न कल्चर –
फ्रीडम की सबसे ज़्यादा घोषणा लड़कियों के द्वारा हो रही है और फ्रीडम के सबसे ज़्यादा दुष्परिणाम भी वे ही भुगत रही हैं।
जिस रास्ते पर आप दौड़ रहे हैं, वहाँ से जो गुजर चुके हैं, उन पर क्या गुज़र रही है?
आप को पता है? आज अमेरिका में हर पाँचवें बच्चे को पता नहीं कि उसका बाप कौन है?
यूरोप में 23 साल की लड़की 2 बार एबोर्शन करा चूकी है, और अब वह माँ बनी है, स्कूल में ही बेबीसीटर्स की व्यवस्था है। जहाँ अपने बेटे को रखकर वह क्लास में पढ़ने जाती है। जहाँ खुद का भी खाना मुश्किल से मिल सकता है, वहाँ बेटे का भी निर्वाह उसको अकेले करना है। हज़ारों पुरुष डिवोर्स के बाद फ़रार हो गये हैं, कोर्ट ने बताया कि मुआवजे की पूर्ण भुगतान उन्होंने अपनी वाइफ को दिया ही नहीं है। नारी न्याय माँगने कहाँ जाये? जीवन का यह संग्राम उसे अकेले ही लड़ना होता है। वह शराब सिगरेट, ड्रग्स, डिप्रेशन एवं पागलपन तक के फंदे में फँस जाती है। एक कुत्ती की तरह रोज़ नये-नये पुरुष उसका उपभोग करते हैं लेकिन उसकी ज़िम्मेदारी किसी के भी सिर पर नहीं होती है। ना ही उसका निर्वाह होता है, ना ही उसकी सलामती होती है, ना ही उसको कोई आश्वासन देने वाला होता है। वहाँ रोज़ कई महिलाएँ अपने 2-3 साल के बेटे/बेटी की हत्या कर देती हैं। कई महिलाएँ अकेली अकेली बकवास करती रहती हैं। कई महिलाएँ आत्महत्या करके मर जाती हैं।
अमेरिका की एक बेस्ट सेलर बुक है, जिसका नाम है “The Final Exit”। आत्महत्या के 22 प्रकारों का उसमें दिग्दर्शन किया गया है। जिसे पढ़कर वहाँ हज़ारों आत्महत्या होती रहती हैं।
फ्रीडम का कोई विरोध नहीं है। पर यदि वो वेस्टर्न पेटर्न की है, तो उसका सीधा मीनिंग है - मर्डर। सुख का मर्डर, शांति का मर्डर, संपत्ति का मर्डर, स्वास्थ्य का मर्डर, सलामती का मर्डर, पूरे फ्यूचर का मर्डर यानी वह फ्रीडम आपका फ्रीडम नहीं है, आपको बर्बाद करने वाले शैतान का फ्रीडम है, आपका तो बंधन ही है, भयानक बंधन।
वास्तविक फ्रीडम भारतीय संस्कृति देती है। आजीवन घर की रानी बनकर जीने का फ्रीडम। हमेशा के लिये सेफ्टी पाने की फ्रीडम, रास्ते पर भटकते मवाली लोग भी आप पर नज़र न बिगाड़ सके ऐसी फ्रीडम। आर्थिक-निर्वाह की कोई रिस्पोन्सिबिलिटी ही न रहे, ऐसी फ्रीडम। बचपन में पापा, यौवन में पति और बुढ़ापे में बेटा सुरक्षा करते रहे, ऐसी फ्रीडम। शरीर-सौन्दर्य हो तब तक प्यार और बाद में धिक्कार ऐसी पश्चिमी विकृतियों से बचने की फ्रीडम...
नारी पर ग़ुलामी का बोझ लादने के लिये सब से ज़्यादा भारतीय संस्कृति को बदनाम किया जा रहा है, और वास्तविकता यह है कि नारी को सबसे ज्यादा सम्मान और सलामती भारतीय संस्कृति ने दी है। आप एक पुस्तक पढ़ सकते हैं - ‘अमेरिका जाने से पहले’ फिर आपको कुछ भी कहने की जरूरत नहीं रहेगी।
वेस्टर्न कल्चर का एसेंस यह है कि नारी एक खिलौना है, आप उसकी कोई भी जिम्मेदारी लिये बिना उसके साथ हर तरह का खिलवाड़ कर सकते हो।
आप उसे अबॉर्शन करने के लिए या कुँवारी माँ बनने के लिए मजबूर कर सकते हैं, आप उसको कलंकित करके दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर कर सकते हैं। आप राक्षसी हास्य के साथ उसकी पूरी जिंदगी को बर्बाद कर सकते हैं। इससे ज्यादा नारी का अपमान और उस पर अत्याचार और क्या हो सकता है? भारतीय कल्चर का एसेंस यह है कि नारी नारायणी है, वह साक्षात् लक्ष्मी है।
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता।
जहाँ नारी का सम्मान होता है वहाँ देवताओं की कृपा बरसती है। भारतीय कल्चर का एसेंस यह है कि आप पहले नारी की पूरी-पूरी आजीवन ज़िम्मेदारी ज़ाहिर प्रतिज्ञा करके उठा लो, उसके बाद ही आप उसे छू सकते हो या देख सकते हो। यदि आप ऐसी कोई ज़िम्मेदारी नहीं उठा रहे हैं तो उसे देखने या छूने का आपको कोई अधिकार नहीं है। इससे ज़्यादा नारी का सम्मान और क्याँ ही हो सकता है?
3) वायोलेन्स कल्चर –
कलिकुंड में एक बेटी को फँसाया गया, उसे भगा कर बीवी बनाकर नॉनवेज खिलाया गया। थाने में एक बेटी को कसाई के लड़के ने फँसाया। उसको मटन शॉप पर बिठा दिया। ग्राहक को काट कर मटन देना, उनके गंदे शब्दों और गंदी हरकतों को सहन करना। वह इन सबसे तंग आ गई। पंखे पर लटक कर उसने आत्महत्या कर ली।
मुंबई में एक लड़की को कॉलेज से भगाकर निकाह कर लिया गया। कुछ दिन बाद दुबई में जाकर उसे वेश्यालय में 29 लाख रुपये में बेच दिया गया। राक्षस जैसे लोग उस पर अत्याचार करने लगे मम्मी को मुश्किल से एक कॉल करके सॉरी बोलकर उसने सुसाइड कर लिया।
अहमदाबाद में दर्शना नाम की युवती के पास एक युवक ने शादी का प्रस्ताव रखा। उसने ना कही युवक ने मणिनगर की लेब में दिन दहाड़े चाकू के प्रहारों से गले में रुमाल से गला घोटंकर उसकी हत्या कर दी। खेड़ा के एक शहर की एक ही महोल्ले की 9 युवतियाँ किसी न किसी विधर्मी के साथ भाग गयी है। उनमें कोई शाकभाजी वाला है, कोई अखबार वाला है, कोई कुरियर वाला है, कोई चैनल वाला / मोबाइल वाला / बाइक सर्विस वाला / बस्ती वाला या भंगारवाला है।
पहले युवतियों को फँसाया जाता है, फिर उनको शीलभ्रष्ट करके वीडियो बनाया जाता है, एक और उसका ब्लेकमेलिंग शुरू होती है। उस युवती को मार-मारकर वेश्या बनाया जाता है, फिर बच्चे पैदा करवाये जाते हैं, उन बच्चों से पहले भीख मँगवाई जाती है और फिर उनसे गुंडागिर्दी करवाई जाती है। फिर उन लड़कियों को विदेश में बेच दिया जाता है, उन्हें वेश्या बनना पड़ता है, या जीवंत बॉम्ब बन कर आतंकवादी के रूप में भयानक मौत को चुनना पड़ता है।
आप आज ही अपने संतानों को स्कूल-कॉलेज से उठा लो या क़सम खालो की हम उन्हें और हमें हर तरह से बर्बाद करना चाहते हैं। 2 ही ऑप्शन है। यदि आप कहे कि हम मौत के रास्ते पर भी दौड़ना चाहते है और मारना नहीं चाहते। तो यह संभव नहीं है।
There is a limit - एज्युकेशन कल्चर
संस्कार, सुख, भविष्य, वेस्टर्न कल्चर... वायोलेन्स कल्चर... नर्सरी से ही एज्युकेशन सिस्टम को चेंज कर दो, आपका घर, परिवार, सब कुछ बच जायेगा।
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