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How to use this extra time?

Updated: Apr 12




पिछले लेखों में आपने पढ़ा, कि यदि आप पुण्य-शाली हैं और दिन में 3-4 घण्टे काम करके जरूरत से कहीं अधिक कमा लेते हैं, तो आपको बाकी के समय में नए-नए व्यापार आदि लोभ करने और भोग-विलास के बजाय धर्म-साधना बढ़ानी चाहिए। 

वैसे भी लोग Extra पैसे को ऐसी कम्पनी में Invest करते हैं, जिसमें Best Return मिले। उपरान्त हम यह भी मानते हैं कि Time is more important than money. तो फिर Extra time को कहाँ Invest करना चाहिए ?

इस विश्व में सबसे अधिक प्यारी चीज यदि कोई है, तो वह हमारा जीव ही है। हमारे जीव को अधिक से अधिक Premium Return मिले इस हेतु विविध आराधना Attractive Script हैं। इसलिए जिसे वर्तमान की सुख, समृद्धि, समाधि, शान्ति और प्रसन्नता के साथ Bright Future भी चाहिए, तो उसे अपने जीवन का Extra Time ‘जिनशासन’ नामक Number One Listed कम्पनी में Invest करना चाहिए।

दो हजार Square Feet का एक Plot लिया, उसमें से 1500 Square Feet पर सभी सुविधाओं से युक्त Well Planned आलीशान बंगला बनाया। अब 500 Feet extra जगह बची, उसकी कुछ परवाह करनी है कि नहीं? उसके लिए कोई Planning करने की जरूरत है या नहीं? Planning करें तो क्या होगा और न करें तो क्या होगा ?

Planning करेंगे तो बढ़िया Garden बन सकता है, नहीं करेंगे तो Garbage बन जाएगा। यदि कोई कहे, कि भले कचरापट्टी बने, हमें कहाँ उस 500 Square Feet में रहना है? हमें तो उस 1500 Square Feet में रहना है, जो Well Planned है। तो ऐसा कहने वाला समझदार है या मूर्ख? यह सही है, कि उस 500 Squre Feet में नहीं रहना, लेकिन उस 500 Square Feet की बाकी 1500 Square Feet पर कोई असर है भी, या नहीं ?

बंगले के आगे के हिस्से में यदि कचरापट्टी और गन्दगी होगी तो मक्खी-मच्छर पैदा होंगे, आरोग्य खराब होगा, दुर्गन्ध आएगी और इस कारण बंगले की कीमत में भी 5-25 लाख की कमी आएगी। साथ ही रस्ते से गुजरते लोग भी आपके बारे में क्या-क्या सोचेंगे ?

इसकी जगह यदि वहाँ सुन्दर बगीचा हो, तो रंग-बिरंगी फूलों से बंगले की शोभा बढ़ेगी, वातावरण खुशनुमा रहेगा, आरोग्य भी अच्छा रहेगा, ताजी सुगन्धित हवा मिलेगी, बंगले की कीमत में भी 5-25 लाख बढ़ेंगे, और रस्ते से गुजरते लोग भी आपके बारे में अच्छा सोचेंगे।

अर्थात् बगीचा सबको पसन्द आता ही है, किन्तु बगीचा अपने-आप तो नहीं बनता न ! इसके लिए Planning करनी पड़ती है, और उस Planning के अनुसार योग्य मेहनत करनी पड़ती है। और बगीचा बनने के बाद उसे Maintain भी करना पड़ता है।

रोज सुबह प्रकृति हमें 24 घण्टे का एक Plot देती है। इसमें से 6-7 घण्टे तो नीन्द में चले जाते हैं, नौकरी-धन्धे और आने-जाने में 10-11 घण्टे चले जाते हैं। खाने-पीने, नहाने-धोने और घर-संसार के कार्यों में 3-4 घण्टे निकल जाते हैं। इस प्रकार लगभग 22 घण्टे तो Occupied हैं, अब 2 घण्टे का खाली Plot बचा है। किसी पुण्यशाली को शायद यह Extra Plot 4-5 घण्टे का भी मिलता है। और करोड़ों लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें 2 वक्त की रोटी के लिए 24 घण्टे भी कम पड़ते हैं।

हमें उनकी बात करनी है जिन्हें 2-4 घण्टे का Extra Plot मिला है। How to use this extra time ? क्या आपने इसका कोई Planning किया है? यह बात कभी भी मत भूलिए, कि बिना Planning जो अपने आप बनता है, वह बगीचा नहीं कचरे का ढेर ही होता है। और बगीचे और कचरे के प्रभाव से कोई भी बंगला अछूता नहीं रहता। बगीचे की अच्छी असर और कचरे की बुरी असर बंगले पर जरूर पड़ेगी।

आजकल अधिकतर लोग इस Extra Plot के मामले में बेफिक्र हैं, इसकी Planning में किसी को Interest ही नहीं है। इसकी जरूरत ही महसूस नहीं होती, तो फिर Planning क्या हो कैसे हो? इसमें सुन्दर बगीचा बनाने के लिए क्या-क्या करना चाहिए, इसकी लोगों को जानकारी ही नहीं है। जानकारी लेने की कोशिश भी नहीं की जाती और जानकारी न होने का कोई अफसोस भी नहीं है।

Planning नहीं होने के कारण यदि एक बार के लिए बगीचा नहीं बना पाए, और Plot वैसा ही साफ-सुथरा रहता हो, तो भी कोई चिन्ता की बात नहीं, लेकिन Actually ऐसा नहीं होता। बिना Planning के कचरा अपने-आप इकट्ठा होता ही है। यानी We have only two options, या तो बगीचा बनाओ या कचरा, No third choice.

An empty mind is devil’s workshop. (खाली दिमाग शैतान का घर।) सोने में, काम-घंघे में, खाने-पीने में तो दिमाग खाली नहीं रहता, व्यस्त रहता है; बस इस Extra वाले 2-4 घण्टों में ही दिमाग खाली रहता है। इसे खाली न छोड़कर इसमें शुभ तत्त्व भर देने चाहिए, ताकि यह शैतान का workshop न बनकर सज्जन और सन्त की workshop बने। 

हकीकत तो यह है कि हम सज्जन हैं या शैतान, इसका निर्धारण उन 20-22 घण्टों से नहीं, अपितु उस Extra वाले 2-4 घण्टों से होता है। ये 2-4 घण्टे सज्जनता से भर दो, तो बाकी के 20-22 घण्टे भी अपने आप सज्जनता से भर जाएँगे। और यदि इन 2-4 घण्टों में शैतान बन गए, तो बाकी के 20-22 घण्टों से भी शैता-नियत की ही बदबू आएगी।

इस शैतानियत और हैवानियत का हाल ही घटा एक किस्सा बताता हूँ। अभी हम कोल्हापुर के चातुर्मास में हैं, यहाँ के हातकणगले तालुका के चंदुर गांव में कोरोना के lockdown के कारण स्कूलें बन्द थी, इसलिए Online classes चालू हुई। सातवीं और नौवीं कक्षा के दो विद्यार्थियों ने Online class के बहाने अपने माता-पिता से Smart phone मंगवा लिया। पढ़ाई तो थोड़ी देर होती थी, लेकिन बाकी के समय में बगीचे की सुगन्ध फैलाने की कोई Planning न उनके पास थी, न उनके माता-पिता के पास, न शिक्षकों के पास और न ही समाज के पास। बिना Planning के अब कचरे का ढेर बनना शुरू हुआ। ‘कर लो दुनिया मुट्ठी में’ मोबाइल के सहारे दुनिया को मुट्ठी में करने की इच्छा जगी, और उन्हें कहीं से ऐसी Link मिली जिससे Porn Film खुल गई।

सातवीं और नौवीं कक्षा के बच्चों की उम्र को छोटी कहेंगे या बड़ी? वैसे तो उम्र छोटी ही कहेंगे, लेकिन साधन मिल जाए तो sex के मामले में यह उम्र छोटी नहीं होती। यदि निमित्त न मिले तो भले ही चाहे जितनी मजा-मस्ती करें, वे निर्मल और निर्दोष होते हैं, लेकिन निमित्त मिलने पर इस उम्र में भी वासना के तूफान उठ सकते हैं। क्योंकि अनादि काल से उसके गाढ़ संस्कार आत्मा में पड़े ही होते हैं। एक बार उनको वह मूवी पसन्द आई, अब जैसे ही उन्हें वक्त मिलता उनका वही मूवी देखने का मन होता, दो बार, चार बार … अब तो उन्हें चस्का लग गया। अब उनके लिए दुनिया में और कोई बचा ही नहीं, बस वही मूवी उनके लिए स्वर्ग, वही जीवन और वही सर्वस्व बन गई।

बार-बार वैसे दृश्य देखने पर अब उनकी भी वही चीज करने की इच्छा हुई। जिस Stage पर यह सब कुछ बन्द कर देना चाहिए था, वह चालू रहा, अब इच्छा और प्रबल होती गई। और एक दिन उन दोनों से रहा न गया और अपनी इच्छा को अमल करने की ठानी। अपने से बहुत छोटी उम्र की एक लड़की को उठाया, उसे एकान्त में ले जाकर उसका बलात्कार किया।

ऐसा नहीं था कि वे नहीं जानते थे कि यह गलत है, भयानक है। वे जानते ही थे, अब उन्हें डर लगा कि यह लड़की अपने माता-पिता को बता देगी तो?? इसे मार देना चाहिए। यह सोचकर उन्होंने उस लड़की की हत्या कर के लाश कहीं फेंक दी।

उधर लड़की खो गई, ऐसा सोचकर उसके माता-पिता ने पुलिस में रिपोर्ट करवाई। छान-बीन चालू हुई, Dead body मिली। फिर एक CCTV में इस लड़की को उठाकर ले जा रहे इन दोनों की तस्वीर भी साफ दिखी। उसके आधार पर दोनों की पूछताछ हुई। वे कोई पक्के गुनहगार नहीं थे, बगीचे की Planning के अभाव में कचरा बन चुके दो जीव थे। पूछताछ में तुरन्त ही उन्होंने सब कुछ कुबूल कर लिया। छोटी उम्र होने के कारण उन्हें सुधार-गृह भेजा गया। लेकिन वयस्क होने पर उन्हें कड़क सजा मिले, इस बात के लिए आन्दोलन हो रहा है।

गन्दगी को समझने का प्रयास एक बार सबको करना चाहिए। वैसे तो कहावत यह है, ‘बच्चे, मन के सच्चे’ लेकिन यहाँ ‘बच्चे बन गए लुच्चे। ’

हमारे धर्म में पाप की आलोचना और प्रायश्चित्त की बात आती है। ऐसे किस्सों में बालक दिन भर में जो भी कुछ करे, यदि वह सब कुछ बिना कुछ छिपाए अपने माता-पिता को बता देता है, और आलोचक अपना पाप बिना छिपाए गुरु को बता देता है, तो मामला इतना गम्भीर नहीं बनता। लेकिन यहाँ तो बच्चे क्या कर रहे हैं उन्होंने कभी माता-पिता को बताया ही नहीं, बालक होकर भी वे बालक नहीं रहे, अपराधी बन गए। यह उसी गन्दगी का प्रभाव है।

ऐसी तो ढेरों बाते हैं, हर व्यक्ति को अपने-अपने जीवन के बारे में विचार कर लेना चाहिए, कि Extra Plot का मुझे क्या करना चाहिए? इसमें बगीचा बनाना है या गन्दा होने देना है? बगीचा बनाना हो तो सही Planning करनी ही पड़ेगी। इसके अभाव में ‘अच्छे’ कहलाने वाले, ‘सज्जन’ कहलाने वाले और समाज में अग्रणी कहलाने वाले व्यक्ति का जीवन भी एकान्त में तो कचरे के ढेर जैसा ही होता है। क्योंकि Planning नहीं होने के कारण Time Killer के रूप में उसके पास TV और Mobile ही होते हैं। और ये दोनों मिलकर जीवन में कौनसे पाप का प्रवेश नहीं करवाते? कुछ नहीं कह सकते।

अगले लेख में इसका ओर विस्तृत विवेचन पढ़ेंगे।

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