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आइस्क्रीम कितनी Healthy है...?

Updated: Jul 14




आइस्क्रीम, बरफ और नमक के संयोग से सांचे यंत्र द्वारा या मटके में हाथ से घुमाकर बनाई जाती है। जिससे...


1) असंख्य पानी के जीव तथा

2) असंख्य नमक के जीव नष्ट होते हैं।

3) जीलेटीन अर्थात हड्डी का पावडर का उपयोग किया जाता है।

4) केक तथा अंडे का रस मिलाया जाता है।

5) स्वाद हेतु विविध रासायनिक केमिकल्स मिश्रित किये जाते हैं।

6) आइस्क्रीम की बरनी (डब्बी) साफ न हो तो बासी दूध के रस में अनेक बैक्टीरिया जन्तु उत्पन्न हो जाते हैं। उसके साथ नया दूध मिल जाने से अन्य त्रस जीव पैदा हो जाते हैं।

7) जठराग्नि : पाचक शक्ति का नाश करती है।


आइस्क्रीम शरीर के लिए हानिकारक हैं। गले का टांसिल, स्वरनली, अन्ननली में सूजन आ जाती हैं। कफ से सर्दी, खांसी और ज्वर हो जाता है।


शरबत की बोतलें जाति-जाति के उंच-नीच लोग और रोगीष्ट लोगों द्वारा मुँह से लगी होने के कारण जूठी होती हैं। उन्हें ठीक प्रकार से साफ किए बिना नया पेय भर दिया जाता है, जिससे इनमें समूर्च्छिम जीव, बासी होने के कारण और अधिक समय पड़े रहने के कारण चलितरस बनने से रसज त्रसजीव पैदा होते हैं। इसे पीने से स्वास्थ्य बिगड़ता है। रोग के कीटाणुओं का चेप लगता है, आंतडियाँ अथवा अन्ननली में सड़न, अल्सर और केन्सर जैसे रोग भी उत्पन्न होने में देर नहीं लगती।


भारत तथा विदेशों में मिलने वाले अनेक रंगों की तथा फलों के कृत्रिम स्वाद वाली आइस्क्रीम बनाने में जिन रसायनों को काम में लिया जाता है, वे शरीर के अनुकूल नहीं होते अपितु प्रतिकूल होते हैं। (श्री कान्तिभट्ट के लेख से...)


बेंजील एसीटेट - आइस्क्रीम में स्ट्रोबेरी नामक फल का स्वाद आता है। वह आइस्क्रीम में मिलाए गए बेंजील एसीटेट से आता है। यह रसायन नाईट्रेट जैसे तेजाब के साल्वेंट के रूप में प्रयुक्त होता हैं, तेज होने के कारण यह पेट पर कुप्रभाव डालता है। हमें वे पदार्थ रुचिकर लगते हैं जो स्वादिष्ट हों, किन्तु उनकी पृष्ठ भूमि में कितनी दुःख और पीडाएँ निहित हैं, यह जानने के लिए रसायन शास्त्र के रहस्य प्रगट करें तो विदित होगा कि आइस्क्रीम में भयानक पदार्थों का उपयोग होता हैं।


एमील एसीटेट - आइस्क्रीम में केले का स्वाद लाने के लिए इसे प्रयुक्त किया जाता है। वास्तविकता यह है कि हमारे घरों की दीवारों पर लगने वाले आयल पेंट को पतला करने के लिए इसका उपयोग होता है। यही पदार्थ आइस्क्रीम बनाने के काम आता है। इसका पाचक रस पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। 


डिथील ग्लुकोल - अनेक आइस्क्रीम वाले यह दावा करते हैं कि वे उसमें अंडा डालते हैं। इससे प्रत्येक अंडे में पंचेन्द्रिय गर्भज जीव की हत्या होती है। अंडे से होने वाली गंभीर हानियों का वर्णन पहले किया जा चुका है। अंडे की महंगाई के कारण आइस्क्रीम में उसके स्थान पर डिथील ग्लुकोल का मिश्रण किया जाता है, जो अण्डे के स्वाद का आभास पूरा कर देता है। केक मैं कुछ लोग अण्डे का और कुछ लोग डिथील ग्लुकोल का उपयोग करते हैं। किसी भी पक्के रंग को दूर करने में यह पदार्थ काम में आता हैं। इसलिए यह रक्त के लाल कणों पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है और स्वास्थ्य कमजोर करता है।


एलडी हाइडसी 17 - आइस्क्रीम में 'चेरी' नामक फल का स्वाद इस रसायन के मिश्रण का परिणाम है। यह आंतडियों और पेट में फोड़ा फुन्सी करने वाला है। प्लास्टिक और रबड़ में इसका प्रयोग होता है।


इथील एसीटेट - इसका उद्देश्य अनानास का स्वाद उत्पन्न करना है। कारखानों में इसका उपयोग चमड़े और कपड़ों को साफ करने के लिए होता है। इस उद्योग में काम करने वाले व्यक्ति जबसे इथील एसीटेट की बाष्प के संबंध हुए हैं, तब से उनके फेफड़ो, हृदय और विशेषतः लीवर की हानि हुई है। अनानास के स्वाद शरबत और अन्य अनेक पदार्थ खाने पीने के काम में आते हैं जिनके साथ इथील एसीटेट को उदर में स्थान देकर हम अपने आरोग्य को जानबूझकर संकट में डालते है।


बुट्रालहेड - आइस्क्रीम में महंगे भाव के सूके मेवों का उपयोग कोई उत्पादक करें तो बिक्री बढ़ नहीं सकती । अतः काजू, बदाम या पिस्ते की एकाध कतरी डालकर बाद में इनका स्वाद उत्पन्न करने के लिए बुट्राल हेड नामक रसायन को मिला देते है। रबर और सिमेन्ट में इसका उपयोग होता है। इससे स्वास्थ्य को हानि पहुँचती है।


पीपरोहल - सफेद रंग का वेनीला आइस्क्रीम में पीपरोहाल का उपयोग होता है। यह एक धीमी गति का जहर Slow Poision है।


यह रसायन अनेक जन्तुओ का नाशक है। यह पेट में जाते ही आँत को नुकसान पहुँचाता है।

अभक्ष्य आइस्क्रीम खाने या खिलाने से पूर्व, व्यवहार में, घर दुकान के उद्घाटन में, शादी ब्याह में उपर्युक्त बातें याद रखेंगे तो जीवनपर्यंत अभक्ष्य आइस्क्रीम खाने की फेशन बंध हो जाएगी। आइस्क्रीम की जगह बादामवाला दूध का विकल्प लाभदायी है।

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