सृजनहार का सर्वोत्कृष्ट सृजन है – माँ। वात्सल्य-मूर्ति माँ के प्रेम की चाहत तो जगत के नाथ को भी होती है। श्री पार्श्वनाथ भगवान भी पूर्वभव में देवलोक से पृथ्वीलोक पर माता का मुख देखने के लिए आए थे। जिस माता की कुक्षी से वे जन्म लेने वाले थे, उनका मुखड़ा देखकर वे अत्यन्त आनन्दित हुए।
माँ का प्यार किसे प्रिय नहीं होता? अरे ! माता को प्रत्यक्ष देखकर ही नहीं, बल्कि माता का चेहरा याद भी आ जाए, तो भी एक अलग ही Feeling आती है। माता के पेट में हमने नौ-नौ महीने गुजारे हैं ना !
अरे यार ! हमें वे दिन जरा भी याद नहीं आते, नहीं तो हमें पता चलता कि उस वक्त को हमने कैसे बिताया ? उन नौ महीनों में हमने माता के पेट में क्या-क्या किया ? कितनी लातें मारी ? उसे कितना परेशान किया ? उसे कितना दर्द दिया ? लेकिन मम्मी ने क्या किया ? सब कुछ सहन किया, और वह भी With love.
फिर एक दिन हमारा जन्म हुआ। लेकिन हमने मम्मी को सताना बन्द नहीं किया। बार-बार रोना, कपड़े खराब करना, रात-रात भर जगाना, पूरी रात उनसे लोरी सुनना, वो झूला झुलाना थोड़ी देर भी बन्द करे, कि जोर से चिल्लाकर रोना, वगैरा…वगैरा…थोड़े बड़े हो जाने के बाद हमारी सताने की Style बदल गई। सुबह उठने में हमें आलस आता था, Please two minutes, Please two minutes करते रहते थे और मम्मी की गोद में सर रख कर सो जाते थे और फिर जब दस मिनिट बाद भी हमारी दो मिनिट पूरी नहीं होती, तब वो हमें उठाकर सीधे बाथरूम में ले जाती और पानी डालकर हमारी Finally नीन्द उड़ा देती थी।
जब हम नहाकर बाहर आते, तब तक तो हमारे लिए गर्मागर्म दूध तैयार ही होता था। लेकिन हमको दूध नहीं भाता, इसलिए घर में जितने कमरे होते है वो सभी कमरे की मम्मी को यात्रा करा कर और मम्मी को अपने पीछे भगा-भगा कर फिर Last में मुँह बिगाड़ कर हम दूध पीते थे।
इतना परेशान करने पर भी, मानो अभी भी बहुत कुछ बाकी हो, तो खाने में हम सौ नखरे करते थे। मम्मी यदि भिण्डी की सब्जी बनाए तो मानो Festival हो ऐसी खुशी, और टिण्डे की सब्जी बनाए तो शोकसभा में बैठे हों, ऐसा मुंह बना लेते थे। ऊपर से मम्मी से कोई न कोई फरमाईश करते रहना, सो अलग। जैसे कि, “ मेरे लिए भेल बनाओ, डोसा बनाओ, वेफर बनाओ “ आदि और यदि मम्मी ये सब बना भी दे और कल को हमें वो चीज न भाए, तो शिकायत करने में हम संकोच नहीं करते और मुँह पर बोल देते थे, कि ” तेरे को तो बनाना ही नहीं आता। “
फरमाईश और शिकायत – ये दोनों चीजें जहाँ हक से कर सकते हैं, ऐसा एक ही Address है, वो है – माँ।
एक राज़ की बात कहूँ ?
Normal days में हमें मम्मी के हाथ का खाना बोरिंग लगता है, लेकिन जब Hostel या Job के लिए कुछ दिन Out of station रहना पड़ता है तब मम्मी की याद इस बात के लिए जरूर आती है, कि चिवड़ा तो मम्मी के हाथ का ही अच्छा लगता है, दाल तो मम्मी के अलावा किसी और की गले से ही नहीं उतरती।
और फिर School time की बात करें, तो …
यदि मम्मी नहीं होती, तो हमारी पढाई भी Difficult हो जाती। रात को जागकर हमारा Home work कौन पूरा करें ! Compass box से लेकर Tiffin box तक कौन तैयार करके दे ! टाई और शूज़ की डोरी तो हमें बाँधनी आती ही नहीं, वो भी तो मम्मी ही कर के देती थी।
स्कूल में मम्मी के हाथ से बना टिफिन उँगलियाँ चाटकर खाते, और Friends के साथ Share करके कितना Proud feel करते हुए कहते थे, कि मेरी मम्मी के हाथ की इडली खाकर देख, कितनी Tasty है।
स्कूल से लौटकर घर आते तो हमारे शरीर में से बहते पसीने की परवाह किए बिना ही हमें वो प्यार से Hug करती, माथा चूमती। और “ठीक से पढ़े कि नहीं“ यह बात पूछे या न पूछे, यह जरूर पूछती कि, “टिफिन पूरा खाया कि नहीं, पेट भरा कि नहीं।“
फिर जल्दी से वो हमारे लिए खाना पकाती, गर्मागर्म फुलके बनाती और हम उस वक्त स्कूल की कथा सुनाते रहते थे। जिसका कोई सिर-पैर नहीं होता था, सिर्फ Time pass की बातें। फिर भी मम्मी हमारी बातों को बहुत Interest से सुनती, निहायत पकाऊ बातों का Response भी देती, और इसके बीच यदि रोटी थोड़ी भी जल जाती, तो अपने ही माथे पर हल्की सी चपत मारकर कहती, कि तेरी बातों के चक्कर में तो मेरी रोटी जल गई।
जब हम Teen age में कदम रखते हैं, तो हमारी Best Friend भी मम्मी ही होती है। भले ही वो हमें कभी-कभी सलाह दे रही हो ऐसा लगता, बार-बार ये कहना कि, ‘ये करले – वो करले’ जो हमें जरा भी अच्छी नहीं लगती, हम उसकी बातों से परेशानी भी महसूस करते।
जब हम College में Enter होते हैं, तो हमारी Life में दूसरे Friends की भी Entry होती है। मम्मी की ओर हमारा लगाव भी कम होने लगता है। Friends के साथ घण्टों तक Calls और Chatting करते, लेकिन मम्मी के साथ एक मिनिट भी नहीं।
फिर Life में एक ऐसा भी दिन आता है, कि Friends की Feeling भी खत्म हो जाती है। हम जब बहुत Hurt हो चुके हों, या Disappoint हों, तब वो हमारे पास आकर प्रेम से हमारे माथे पर हाथ फेरती। उसके हाथ में ऐसा जादू होता है, कि मानो हमारा सारा Tension उसने ले लिया हो।
‘बेटा सब ठीक हो जाएगा’ उसके इन शब्दों में बहुत Motivation होता था। हम Ego में आकर माफी न भी माँगें तो भी वो सामने से हमारी गलतियाँ माफ करती थी। हमारे लिए उसका ATM (Any Time Maafi) हमेशा खुला ही रहता।
माँ के प्रेम में “Condition apply” का Tag कभी नहीं होता। हमें सुधारने के लिए यदि वह गुस्सा कर भी दे तो थोड़ी ही देर में वो खुद रो देती है।
लबो पर उसके कभी बददुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो कभी खफा नहीं होती
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है
कितनी बात करें… हमारे पास, हमारे दिल में मम्मी की So many Chweet Chweet memories हैं।
लेकिन, एक Emotional बात कहूँ …
जिसे माँ का प्रेम नहीं मिला, उसे माँ के प्रेम की Value होती है। जहाँ सुबह मम्मी की जगह ‘रामू’ उठाता हो, जहाँ बना-बनाया टिफिन ही खाना हो, स्कूल का होमवर्क खुद ही करना हो, जहाँ स्कूल से लौटकर आने पर बैग फेंककर जिद या झगड़ा नहीं कर सकते, वहीं माँ के प्रेम की महिमा ठीक से समझ आती है।
Apple के CEO Steve Jobs को पता चला कि ये उसके माता-पिता असली नहीं, बल्कि पालक माता-पिता हैं, जन्म देने वाले माता-पिता कोई और ही हैं। उसकी माँ शादी से पहले ही माता बन गई थी, समाज की बदनामी के डर से उसने बच्चे को अनाथाश्रम को सौंप दिया। फिर वहाँ से एक दम्पति ने उस बच्चे को गोद लिया, और उसका पालन-पोषण किया।
अब Steve Jobs ने अपनी Real Mom की तलाश करनी शुरू की। वर्षों बाद पता चला कि उसकी माँ का नाम जोएल है और वो लॉस एंजेलिस में रहती है, तो वह तुरन्त उससे मिलने के लिए भागा।
जीवन में पहली बार माँ का चेहरा देखकर वह अत्यन्त भावुक हो गया, और माता की गोद में सर रखकर बच्चे की तरह रोने लगा। जब माँ ने Steve से माफी माँगी और रोते-रोते बोली, कि “मैं कैसी माँ हूँ, कि तुझे जन्म देकर तुरन्त छोड़ दिया।” तो Steve बोला, “माँ ! तुम्हे माफी माँगने की कोई जरूरत नहीं, वो तो परिस्थिति ही ऐसी थी, कि तुम क्या कर सकती थी।
मैं तो तुम्हें Thank You कहने आया हूँ, कि तुमने Abortion नहीं करवाया और मुझे यह सुन्दर सृष्टि देखने का मौका दिया। इतनी प्यारी जिन्दगी की भेंट दी।”
§ Waiter, Saloon barber या Driver हमारी थोड़ी सी भी help करें, तो भी हम उन्हें Thank you बोलते हैं। Short time की help करने वाले को हम Thank you बोलते हैं।
§ Lifetime and Anytime help करनेवाली Mom को Thank you कहने में हमारी जबान को तकलीफ होती है ?
§ उसने हमें सिर्फ जन्म ही नहीं दिया, बल्कि 24×7 वो हमारी Care करती है। ऐसी Mom को आज इतना जरूर कहना है कि, Thank you for giving me A Gift of Life.
क्या आपको पता है, कि देवानन्दा माता जब प्रभु वीर के समवसरण में आई, तो प्रभु को देखते ही उनके अन्तर्मन में भावनाओं की लहरें उमड़ने लगी, हृदय से वात्सल्य की धारा बहने लगी। ऐसा प्रेम भरा दृश्य देखकर गौतमस्वामी ने प्रभु वीर से पूछा, “हे प्रभो ! आपके प्रति इस स्त्री को इतना प्रेम क्यों है ?”
तो प्रभु बोले, “गोयम ! ये तो मेरी माता है, मैं इनकी कुक्षि में 82 दिन तक रहा था।”
मात्र 82 दिन जिनकी कुक्षि में रहे, वो माता को प्रभु के प्रति इतना प्रेम !! और प्रभु का भी माता के प्रति इतना प्रेम !!
(याद रहे, कि प्रभु राग रहित होते हैं, प्रेम रहित नहीं।)
भले आज Mother’s day है, किन्तु हमारे लिए Everyday is Mother’s day. माँ हमें रोज प्रेम करती है, तो क्या हम उसे एक ही दिन प्रेम करेंगे ?
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प्रश्न : दुनिया के सभी Love Songs में से No. 1 love song कौनसा है ?
उत्तर : माँ के मुख की लोरी।
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