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Updated: Dec 10




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तीन समाचार... वोर्निंग बेल बजाते हुए मेरे कान पर टकराये, तो मैंने सोचा, आपको जगाने के लिए मैं भी एक बेल बजा दूँ।

 

1.  9, March-2024, News – गुजरात समाचार... चाईना ने सन्-2023 में 225 टन सोना खरीद कर, डॉलर रिजर्व में कटौती कर दी।

2.  June 2024, News – भारत ने अपना 100 टन सोना, बैंक ओफ इंग्लेण्ड के पास से वापिस लाने में सफलता पाई।

3.  18 June-2024, News – सऊदी अरब ने अमेरिका साथ किया पेट्रो डॉलर करार रिन्यू करने से इन्कार कर दिया, अब डॉलर में ही पेट्रोल बेचने की बाघ्यता समाप्त हो गई।

 

 

मेरा यह लेख जैन संघ के तमाम पदाधिकारियों तक पहुँचाने का पुण्यकार्य करने की नम्र विनंती है।

 

इस तीन समाचार से पूर्व में भी, विगत चार सालों से अनेकबार एक समान समाचार मेरे पढ़ने में आये थे कि, दुनियाभर की तमाम सेन्ट्रल बैंक सोना ख़रीद रही है, वो भी टनों के हिसाब से...

 

सन्-2023 में विश्व की सेन्ट्रल बेंकों ने ऑफिशियल 1037 रन टोटल सोने की खरीड दारी की है, कारण???

 

कारण स्पष्ट ही है, जब आफत नजदीक में हो, तब लोगों का भरोसा सहज रूप से पीली धातु के ऊपर बढ़ता जाता है [धर्म की दृष्टि में देखें तो भविष्य में वो ही इन्सान सुरक्षित है, जिस का पुण्य सुरक्षित है, इसलिए धार्मिक दृष्टि से पीली धातु यानी पुण्य]

 

आप को प्रश्न होगा की, ‘महाराज! आप तो कंचन-कामिनी के त्यागी हो, आप को सोना (कंचन) चांदी से क्या लेना-देना?’

 

मुझे आपके पैसों से या सोने-चांदी से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन जिनशासन की समस्त समृद्धि सिर्फ़ अज्ञानता के कारण नष्ट हो, तब मेरी प्रथम फर्ज, शासन पर आने वाले आक्रमणों की अग्रिम जानकारी शासन संचालकों को देने की हैं।

 

आज भारतभर की बेंकों में जैन संघों के हजारों करोड़ रुपये देवद्रव्य से लेकर अनेक खातों के, वैसे के वैसे ही पड़े हैं, कल वो रुपए सड़ ना जाये, उसकी चिंता से ही मैं यह लेख लिखने के लिए प्रेरित हुआ हूं। रुपया यानी कागज के टुकड़े, वो हकीकत में कागज न बनें या बनें उससे पहले आप सतर्क बनें वो ही मकसद है, इस लेख का।

 

किसी को प्रश्न हो सकता है, कि आपातकाल में तो रखा हुआ सोना भी क्या काम लग पायेगा?

 

इसका जवाब श्रीलंका की इमर्जेन्सी हैं, तब लोगों ने अपने पास रहा सोना बेच-बेचकर अपना अस्तित्व बचाया। तूर्की में भी इमर्जेन्सी में कुछ लोग अपना घर बेचकर सोना खरीद रहे थे जब खाने के भी लाले पड़ जाये, और कागज की नोटों का अवमूल्यन होने के कारण कुछ खरीद ना पाये तब जीवित रहने के लिए सोना-चांदी जैसी मूल्यवान् धातु ही काम लगती हैं, ऐसे अनेक दृष्टांत हैं।

 

बैंक में करोड़ों पड़े हो या घर में कागज की नोटों के ढेर लगे हो, इकोनोमिक क्राईसीस (जो 2025 के बाद शुरू हो रही हैं उसमें) सब मिट्टी होने वाला हैं।

 

सन्-2025 के बाद का काल बड़ा विषम एवं विकट है, जिस की पूर्वतैयारी के रूप में बड़े-बड़े उद्योगपति, राजनेता, संपन्न परिवार के कुछ गिने-चुने लोग विपुल प्रमाण में सोना खरीद रहे हैं, अण्डर ग्राउण्ड बंकर भी बना रहे है।

 

कुछ लोगों को प्रश्न हो सकता हैं कि, इमर्जेन्सी में तो मानव, जीवित रहने के लिए लूंट-मार-हत्या के रास्ते पर चला जाता है, तब रखा हुआ सोना भी क्या काम लगेगा? उल्टा, सोने के कारण ही जोखिम बढ़ जायेगा।

 

उनकी सोच सही हैं, जब पुण्य पूरा हो जाता हैं, तब इकट्ठा किया गया सोना भी कोयले में तब्दील हो जाता हैं।

सोच सही होने पर भी प्रेक्टीकल नहीं हैं। शास्त्रों में लिखें निर्देशों का अनुकरण करके ही पुण्यशाली जीव सुखी होता हैं और शास्त्रों में द्रव्यव्यवस्था के स्पष्ट निर्दश हैं।

 

शास्त्रों में ऐसा नहीं लिखा है कि, ‘पुण्य है तो सब कुछ है, पुण्य का ही अंधानुकरण करों’

 

अकेले भाग्य के भरोसे बैठने वालों को शास्त्रों में मूर्ख बताया हैं। आग लगे तब कूआ खोदने वाला कहा हैं। व्यवहार में द्रव्य एवं अर्थव्यवस्था का दिग्दर्शन करने वाले शास्त्रकार भगवंतों ने पूर्ण औचित्य का पालन किया हैं। घर में जो मुखिया हों, उसे समस्त घर के आश्रित वर्ग की व्यवस्था पहले से ही सोच कर करनी आवश्यक होती हैं। सिर्फ भाग्य का जाप जपने वाला आश्रितों के भविष्य से खिलवाड कर रहा हैं।

 

परिग्रह को पाप बताने वाले शास्त्रकार भगवंतों ने आचार्य भगवंत के गुणों की सूची में ‘संग्रहशील’ गुण को स्थान देकर हमें आश्चर्य चकित कर दिया, क्योंकि ‘संग्रह करना’ पापरूप हैं। फिर भी ‘संग्रह’ को जरूरी बताया, क्योंकि वो मुखिया के स्थान पर हैं। सामान्य महात्मा संग्रह करें तो पाप है, ज़िम्मेदार व्यक्ति करें तो गुण हैं।

 

अभी गृहस्थ लोग शादी में 80 लाख, करोड़ रुपयों का खर्चा कर देते हैं। सोना बेचकर या गिरवे रखकर गोल्डलोन के नाम पर कागज उठा लाते हैं। गोल्ड बोण्ड के नाम से कागजी सोना खरीदकर लाते है और खुश हो जाते हैं, लेकिन आने वाले समय में सब जी भर के रोनेवाले है।

 

मैं तो सिर्फ डेन्जरस का वो बोर्ड हूँ, जो खाई में गिरनेवाली गाड़ी को बचाकर, चुपचाप अपनी सेवा से ही आत्मसंतुष्ट हैं। मैं कोई भविष्यवेत्ता नहीं हूँ, और ना ही बनना चाहता हूँ।

कागजी सोना, 1000-2000 की नोट जैसा है, और मनचाहा छापा जा सकता हैं, असली सोना ऐसा नहीं है।

 

पूर्व में जितने भी व्यापार होते थे, खासतौर पर आंतरराष्ट्रीय व्यापार (व्यवहार), वो सब डॉलर में ही होते थे, जो देश डॉलर की दादागिरी के सामने सिर उठाता, उस का सिर कलम कर दिया जाता था, लेकिन अब दुनिया करवट बदल रही हैं। आनेवाले समय में डॉलर ख़त्म होने जा रहा है, क्योंकि पेट्रो डॉलर करार खत्म हो चुका है, जो डॉलर के लिए वेन्टीलेटर बन कर खड़ा था।

 

बाक़ी देशों की करेन्सी पत्नी के स्थान पर है, डॉलर पति के स्थान पर...

पत्नी 500 हो, लेकिन पति एक ही हो, तब पत्नी दो-चार मर भी जाये पति को फर्क नहीं पड़ता। पति मर जाये तो एक साथ 500 पत्नी विधवा हो जाती हैं। WEF की 8 भविष्यवाणी पढ़ लीजिए... जिस में से दूसरी भविष्यवाणी साफ-साफ बता रही हैं, आने वाले समय में अमेरिका सुपर पावर नहीं रहेगा।

 

जैसे ही डॉलर टूटेगा सोना आसमान को छुएगा। दुनिया की सारी करेन्सी डाउन होने लगेगी। आर्थिक अराजकता का भूचाल आयेगा। सन्-2025 में दुनियाभर के शेर मार्केट टूट कर बिखर जानेवाले है, ऐसी अनेक आर्थिक विशेषज्ञो के द्वारा की हुई भविष्यवाणी सच हो सकती हैं।

 

यदि सचमुच ऐसा है तो !!!

आज के जैनबंधुओं में से अधिकांश लोगों की पूंजी शेयर मार्केट इत्यादि में लगी हुई हैं। अब नहीं जागे तो ‘तारे जमीं पर’ नहीं ‘सारे जमीं पर’ आ जायेंगे।

 

शेयर बाजार के बारे में लोगों को लगता है कि, गिरता हैं, फिर से चढ़ जाता हैं, फिर गिरता है, और ऐसा होता रहता हैं।

 

लेकिन, 2025 के बाद ऐसा होना और होते रहना मुश्किल ही लग रहा हैं। एक ट्रेण्ड रहा है, सोना नीचे जाता है, तो शेयर मार्केट ऊपर, लेकिन कुछ महिनों से दोनों ऊपर जाते देखें है।

 

समझदार लोग सोना खरीदते जा रहे हैं।

कुछ नासमझ लोग शेयर खरीद कर खुश हो रहे हैं।

आप स्वतंत्र हो, आप को क्या करना, क्या नहीं करना!

लेकिन... वोर्निंग बेल बजाने का मैंने अपना कर्तव्य पूर्ण किया। स्वतंत्र इन्सान भी समझदार नहीं बनता हैं तो उनकी स्वतंत्रता छीन ली जाती हैं, आप के साथ ऐसा ना हो ऐसी शुभकामनाएँ...

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