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[ Disclaimer :
इस लेख में लिखें जा रहे तथ्य, मेरे दिमाग़ की कोई हवा-हवाई सोच या भ्रमणा या कल्पना नहीं हैं, लेकिन असलियत हैं। हालांकि मैं कोई मेडिकल एक्सपर्ट नहीं हूँ, लेकिन इस लेख में बताई गई बातें मेडिकल एक्सपर्ट से प्राप्त जानकारी के आधार पर ही की जा रही हैं।
इस लेख में या आनेवाले लेखों में (यानी सीरिज़ में) एक संवेदनशील विषय को कवर किया जाएगा, अतः इस लेख के बारे में तो कोई प्रश्न उठना संभव नहीं है, मगर मेरे द्वारा हो रहे प्रयास के सामने यदि किसी को प्रश्न उठ रहा हो तो मुझे खुलासा कर देना चाहिए।
इस लेख का केन्द्रबिंदु, भारत की आधी आबादी यानी महिलाएँ है, सिर्फ इसी राष्ट्र की नहीं, अपितु समग्र विश्व की महिला भी है। महिलाओं के विषय में यदि कोई पुरुष, कुछ बात बताता हैं तो महिलाएँ कभी-कभी भड़क जाती है और पुरुषों को दो टूंक सुना देती है की, ये हमारा निजी मामला है, आप को इस में अपना सिर खपाने की ज़रूरत नहीं है।
लेकिन, मैं आज महिलाओं के विषय में लिखने जा रहा हूँ, क्योंकि ये निजी मामला नहीं हैं, किसी एक महिला की बात नहीं हैं, यह विषय किसी संप्रदाय विशेष का नहीं हैं, एक तिथि - दो तिथि - तीन थुई - चार थुई – खरतरगच्छ – तपागच्छ – अचलगच्छ – पायचंदगच्छ – मूर्तिपूजक – स्थानक – तेरापंथ - श्वेताम्बर या दिगम्बर का नहीं है, यह विषय सिर्फ जैन धर्म का नहीं है, देश का ही नहीं है, विदेश का भी नहीं है।
यह विषय समस्त जिनशासन का है, समस्त विश्व का और विश्व के सभी धर्मानुयायियों का भी है। यह विषय समस्त श्राविका - बहनों का साध्वीजी भगवंतों का और चतुर्विध संघ का भी है।
इसी हेतु से करुणा एवं शुभ भावना से प्रेरित मेरे इस प्रयास को सभी समझदार लोग समझ पायेंगे।
राग-द्वेष बढ़ाने वाले प्रवृत्तियों से दूर रहने की जिनाज्ञा है, लेकिन सावधानी बढ़ाने वाले प्रवृत्ति या प्रमाद घटाने वाले प्रवृत्ति का कहीं पर भी निषेध नहीं हैं, इसलिए यहाँ पर करुणाबुद्धि से प्रदर्शित की गई वास्तविकता के बारे में सभी विचार करें, उसका स्वीकार करें, इसमें राजनीति ना करें और हो सके उतनी तत्परता से कुतर्कों की एवं दुष्टों की भ्रमजाल का पर्दाफाश करें। यदि मेरे प्रयास से एक श्राविका बहन को भी फ़ायदा पहुँचे, अंशमात्र भी वह बचे तो मेरा प्रयास मैं सार्थक मान लूँगा। मेरी कहीं पर भी क्षति दिखें तो मुझे सूचित करें...। ]
यह तब की बात है, जब कुछ साल पहले पालीताणा तीर्थक्षेत्र में नवाणु यात्रा का आयोजन हुआ था। ग्रीष्मकालीन छुट्टियों के अवकाश में कई सारे जवान लड़के-लड़कियाँ तीर्थयात्रा के इस आयोजन में ख़ुशी- ख़ुशी से जुड़े थे। लाभार्थी परिवार के द्वारा नियुक्त किये गये एक आराधक भाई ने गुप्त रूप से सभी लड़के-लड़कियों के सामान चैक किये तो सामान में से चौकानेवाली चीज़े मिली। यात्री जब जवान हो तब टेन्शन होना स्वाभाविक हैं। यात्रियों में जवान लड़कियों की लम्बे समय तक ज़िम्मेदारी निभाना, उसे सुरक्षित रूप से उनके घर पहुँचाना बहुत बड़ा दायित्व होता है।
घर में एक जवान बेटी को संभालने में भी माँ-बाप के हाथ-पैर फ़ुल जाते हैं, तब यहाँ पर इतनी सारी संख्या में जवान लड़कियाँ हो तब किस को चिंता नहीं होगी?
लाभार्थी आयोजक परिवार के द्वारा नियुक्त, अधिकृत आराधक भाई ने जब चैकिंग किया तो अविवाहित युवा बहनों के पर्स में से कुछ विवादास्पद पील्स (दवाइयों की गोलियाँ) मिली, जिस से हो-हल्ला मच गया था, लेकिन जब लड़कियों ने बिलकुल भी डरे बिना प्राप्त पील्स के बारे में खुलकर खुलासा दिया तब चैकिंग करने वाले भाई चुप हो गये।
हक़ीक़त में बहनों के पर्स में से OCP (Oral Contraceptive Pills) यानी गर्भनिरोधक गोलियाँ मिली थी और उसका उपयोग वे कभी-कभी अपने पीरियड्स को रोकने के लिए कर लेती थी। पीरियड्स को डिले करने के लिए यह गोलियाँ अब घड़ल्ले से सभी स्थानों में, सभी गाँव-नगरों में, चने-मुरमुरे की तरह महिलाएँ एवं लड़कियाँ खा रही है। शादी से पहले ही ऐसी गर्भनिरोधक गोलियाँ लेने का प्रयोग अनेक लड़कियाँ अनेक बार अनेक त्योहारों में, अनेक प्रसंगों में कर चुकी है।
अत्यंत धार्मिक, सांस्कारिक, सात्विक लड़कियाँ भी ऐसी पील्स लेती रही है। किसी को संवत्सरी का प्रतिक्रमण करना है, तो किसी को अपने उपधान की माला का प्रसंग संभालना है। किसी को तीर्थ की यात्रा करके प्रभु के दर्शन करने है, तो किसी की तो कुछ अलग ही रामायण चल रही है।
बार-बार अनेक बार ली जाती I-Pill हो या Saheli, या फिर Monday – Tuesday – Wednesday हो, या फिर 2-Easy हो या Suvida हो या Choice हो या Primolti हो, सारी की सारी OCP यानी मुख से ली जानेवाली आरेल कोन्ट्रासेप्टीव पील्स (गर्भनिरोधक गोलियाँ) भयानक भी है, ख़तरनाक भी है।
पीरियड्स को या पीरियड्स को रोकनेवाली इस ख़तरनाक पील्स को नोर्मल मानने वाली भोली-भाली बहनों को पता ही नहीं है कि, इन गोलियों से भविष्य में होनेवाले दुष्प्रभाव (Side Effects) बिल्कुल भी नोर्मल नहीं हैं।
इन सारी OCP में सिन्थेटीक (कृमित्र) एस्ट्रोजन होर्मोन होता है। कृमित्र एस्ट्रोजन होर्मोन का डोज़ बहनों के कुदरती (नेचरल) लय को बिगाड़ देता है।
गर्भ को रोकनेवाली दवाइयाँ को ले-लेकर पीरियड्स को रोकने का काम करना महज अणुबम से अनार काटने जैसा काम है। मशीनगन से मच्छर मारने जैसा जोखिम भरा काम है। गोली गले से नीचे गलने में 2 मिनट भी नहीं लगती है, लेकिन उस गोली से आने वाले जोखिम कई सालों तक पीड़ा देते रहते हैं।
मैं यहाँ पर आपको एक सूची दे रहा हूँ, जो गोली खाने से आने वाले एडवर्स इफेक्ट्स की सूची है, पढ़कर शायद आपका सिर चकरा जायेगा। यह सब पढ़ने के बाद भी यदि आप OCP हसते- हसते खा रही हो, तो फिर मुझे आप को कुछ भी नहीं कहना है।
आपकी जानकारी के लिए बता दूँ तो, निम्न सूची मेरी मनगढ़ंत कल्पना नहीं है, अधिकृति सूची है।
Adverse Effects of OCP (Oral Contraceptive Pills…)
1. Breast Tenderness
2. Nausea
3. Vomiting
4. Bloating
5. Stomach Cramps
6. Headaches
7. Weight Gain
8. Hyper Pigmentation Of Skin
9. Hair Loss
10. Vaginal Itching
11. Normal Uterine Bleeding (Also Known as Break Through Bleeding)
12. Anaphylaxis
13. Hyper Tension (Severe more side Effects of Estrogen include)
14. Cerebrovascular Accident
15. Myocardial Infection
16. Venous Thromboembolism
17. Pulmonary Embolism
18. Exacerbation of Epilepsy
19. Irritability
20. Exacerbation of Asthma
21. Galactorrhea
22. Nipple Discharge
23. Hypocalcemia
24. Gallbladder Disease
25. Hepatic Hemangioma
26. Adenoma
27. Pancreatitis
28. Breast Hypertrophy
29. Endometrial Hyperplasia
30. Vaginitis
31. Vulvo Vaginal Candidiasis (Intra Vaginal Preparations
32. Enlargement of Uterine Fibroid
33. Risk of Cervical Cancer
34. Breast Cancer [Estrogen Hormone as Receptor Sensitive Malignancies including Breast Cancer]
35. Ovarian Cancer
36. Endometrial Cancers
यहाँ पर मैं, संक्षिप्त में कुछ दुष्प्रभावों के बारे में बता देता हूँ, सारी सूची का हिन्दी रूपान्तरण मैं कुछ कारणों से नहीं करना चाहता हूँ, आप स्वयं ही अनुवाद कर लें तो अच्छा होगा।
गर्भनिरोधक गोलियाँ से आम तौर पर वोमीटींग (उल्टियाँ) होना, पेट में मरोड़ उठना, पेट दर्द करना, सिर दर्द नाभि के नीचे के हिस्सों में दर्द, वजन बढ़ जाना, चमड़ी का रंग बदलना, चमड़ी में स्कीन एलर्जी होना, बाल झड़ना, अस्वाभाविक यौन रक्तपात, यौनमार्ग के अनेक रोग, मूत्र में रक्त बहना इत्यादि सामान्य रूप से होता है।
विशेष रूप से होने वाले दुष्प्रभाव देखें तो हाईपरटेंशन, हृदय की नलियों में इन्फेक्शन, ब्लॉकेज प्रॉब्लम, रक्त के थक्के जमने, जिसके चलते शरीर के दूसरे अंग पेरेलाईज्ड होना,
PE= पल्मोनरी एम्बोलिजम (अचानक फेफड़ों की नलियों में ब्लॉकेज आना) मिर्गी के दौरे पड़ना, दमा होना, गॉल ब्लैडर के रोग होना, पेनक्रियाज के रोग होना, लिवर डेमेज, गुप्तरोग, फाइब्राइड की गाँठे होनी।
एक्सट्रीम दुष्प्रभावों में ब्रेस्ट केन्सर, सर्वाइकल केन्सर, एन्डोमेट्रीयल केन्सर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक इत्यादि... लम्बी सूची है।
ये सारे व्यक्तिगत नुक़सानों में एक नुक़सान ऐसा है, जो समस्त जिनशासन के भविष्य को प्रभावित कर रहा है, इसे समष्टिगत नुक़सान मानना चाहिए, बार-बार या अधिक मात्रा में ली जानेवाली OCP से (गर्भनिरोधक गोलियों के प्रयोग से) महिलाओं की प्रजनन क्षमता नष्ट हो जाती है। यहाँ पर अधिक मात्रा किसे कहेंगे? किसी के लिए 6 रोटी अधिक होती है और किसी के लिए 10 रोटी नोर्मल मात्रा गिनी जाती है, सभी की शारीरिक मर्यादा भिन्न-भिन्न होती है। संतान पैदा करने में किसी को दिक़्क़त ना भी हो, लेकिन शारीरिक क्षति तो अवश्य पहुँचती ही है।
व्यक्तिगत-शासनगत नुक़सान की चर्चा करने के बाद समस्त राष्ट्र या विश्व को होने वाले नुक़सान को भी सोच लेते है। इस गोलियों के प्रयोग करनेवाली महिलाओं के मूत्र उत्सर्जन से मुम्बई के अरबी समुद्र की या लंडन की थेम्स नदी में रहने वाली मछलियों के बांझ होने के समाचार कुछ साल पहले आये थे।
मछलियों में प्रजनन सामर्थ्य ख़त्म होने पर, नई मछलियाँ पैदा होनी बंद हुई, जिससे पानी में रहे हानिकारक (Harmful) बेक्टेरिया [की जो पानी में भयानक नुक़सान पहुँचा रहे थे], उस की अनियंत्रित वृद्धि होने लगी।
जो उसे नियंत्रित कर रहा था, वह मछलियाँ तो अब ग़ायब होने लगी थी, इस के कारण पूरा Eco Balancing बिगड़ गया।
समस्त सृष्टि का सुचारु रूप से संचालन इसी Eco Balancing के कारण होता आया है। इस की एक भी कड़ी कमजोर होने पर या टूटने पर पूरी व्यवस्था धराशायी हो सकती है।
एक गर्भनिरोधक गोलियाँ संचालन, नियंत्रण और पुनरूत्पादन की पूरी श्रृंखला को तहस-नहस कर सकती है।
सिर्फ मछलियाँ की ही बात नहीं करनी है, मानवों की भी बात करनी है।
भारत देश में तो यह कुछ सालों से ही प्रचलन में होगी, लेकिन जपान, इटली, चाइना जैसे छोटे-बड़े देशों में तो ये गोलियाँ अनेक-अनेक सालों से चल रही है। जिसके कारण वहाँ की श्रृंखला में से बच्चे और युवा कम होते जा रहे है, बुड्ढ़े लोग देश में बढ़ते जा रहे है। देश का पूरा Eco Balancing बिगड़ चुका है।
हमारी आनेवाली पीढ़ी के भविष्य के लिए यह लेख एक रेड अलर्ट स्वरूप है। यदि प्रजा का उत्पन्न होना ही कम हो जाये या बंद हो जाये तो भविष्य में इस जिनशासन की या भारत राष्ट्र की बागडोर किस के हाथों में होगी?
अपने मल-मूत्र को रोकने के प्रयास करनेवालों को शास्त्रों में मृत्यु तक के दुष्प्रभाव बताये गये है। तो नेचरल ऐसे पीरियड्स को रोककर बहने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी क्यों मार रही हैं? ये तो शरीर के अंदर जमा हुई अशुद्धि को दूर करने की नेचरल प्रोसेस है, यदि बहनें इसे नेचरल मानती है, तो उसे अप्राकृतिक रास्तों से रोककर नेचर के साथ खिलवाड़ क्यों कर रही है?
सहज मिला सो दूध बराबर, मांग लिया सो पानी
लूट लिया सो खून बराबर, कहत कबीरा वाणी...
हमें अपनी सुविधा की फिक्र है या सुरक्षा की?
(अगले एस्पिसोड में बहनों के विषय में, और भी ज़रूरी बातें करने का प्रयास करूँगा...)
(क्रमशः)
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