स्वैच्छिक ग़ुलामी
- Panyas Shri Nirmohsundar Vijayji Maharaj Saheb
- Nov 26, 2024
- 8 min read

[ आप अपने ही हाथों से अपने हाथों का बाँध लीजिए ]
एक बहुत बड़े ज्योतिषि ने आकर राजा को कहा, ‘आप अपने राज्य में घोषणा करवा दीजिए, क्योंकि कुछ महिनों के पश्चात ऐसी बारिश होने वाली है, जिस का जल जहाँ-जहाँ गिरेगा, सभी कुएँ-तालाब-नदी-झरने दूषित हो जाएँगे और ऐसा दूषित जल पीनेवाला पागल हो जाएगा, अतः अपने घर पर शुद्ध जल का संग्रह कर लें। एक साल के पश्चात जब पुनः सुवृष्टि (अच्छी-बारिश) होगी, अपने आप दूषित जल शुद्ध हो जाएगा।
राजा एवं मंत्री ने सभी को सतर्क करने हेतु घोषण करवा दी। सभी ने अपने-अपने घर पर जल इत्यादि का संग्रह कर लिया, लेकिन इस बात को लोग भूल गये थे कि, दूषित जल को पीना नहीं हैं।
आख़िर वह दिन आ ही गया। जब जमकर दूषित बारिश हुई, जिसे शास्त्रों में कुवृष्टि बताई गई है। राजा एवं मंत्री ने सचेत होकर बाहर का प्रदूषित जल बिल्कुल भी नहीं छुआ। दिखने में तो दूषित जल, शुद्ध जल जैसा ही था, लेकिन प्रभाव में ज़मीन-आसमान का फर्क था।
जनता चेतावनी भूल गई और दूषित जल से भरी नदियों का पानी पी गई। पागल हो गई। लोग अपने कपड़े फाड़ने लगे, नाचने लगे, गाने लगे, लोग हकीकत में पागल होकर पागलों सी हरकतें करने लगे थे।
पूरे राज्य में राजा एवं मंत्री दो ही सयाने लोग बचे थे, करें तो करें क्या? जब पागलों की टोली राजदरबार में इन दोनों सयाने को देखकर चिल्लाने लगी कि, ‘देखों, देखों ये हमारे राजा, हमारे नाच-गान में सरीक नहीं हो रहे है, हमारी प्रवृत्तियों के साथ इन का मैचिंग नहीं हो रहा है। इसे पीटा जाये, ये लोग पागल हो चुके है, तब मंत्री एवं राजा ने आपस में परामर्श करके निर्णय ले लिया कि, ज़िंदा रहना है, तो इन पागलों के बीच में पागल बनने का अभिनय करना अनिवार्य है।
बाहरी तौर पर नकली पागल, अंदरूनी तौर पर असली सयाने।
जब उचित समय आएगा तब जनता सच को जानेगी, वापिस लौटेगी तब हम भी अपना व्यवहार बदल लेंगे।
शास्त्रों में इसे ‘कुवृष्टिन्याय’ के नाम से बताया गया है। आजकल ‘One World, One Future, One Family, One Earth, One Health, One Sun, One Grid’, का जिस प्रकार कमिटमेन्ट, एग्रीमेन्ट किया जा रहा है। घोषणा की जा रही है, लगता है ‘कुवृष्टिन्याय’ से सभी को इस से जुड़ना पड़ेगा।
एक सुश्रावक ने मुझे प्रश्न किया, ‘अपार ID’ के ऊपर आप का रिसर्च क्या है? आप इस पर क्या कहना चाहेंगे? स्कूल से मैसेज पर मैसेज आ रहे है, अपनी संतानों की अपार ID बनाने के लिए प्रेशर बनाया जा रहा है।’
‘APAAR-ID’, का संक्षित अर्थ है, ‘One Nation, One Student ID’, विशेष अर्थ है, Automated, Permanent, Academic, Account, Register...
मुम्बई से प्रश्न पूछनेवाले श्रावक का यह कहना था की अपार आईडी में जोखिम कहाँ पर है? जब मेन्डेटरी (अनिवार्य) नहीं है और वोलिन्टरी (स्वैच्छिक) है, तब हमारे बच्चों की ऐसी ID बनाने में क्या समस्या आ सकती है?
इसमें माँ-बाप की स्वैच्छिक स्वीकृति (Consent) जब निरस्त भी की जा सकती हैं, तो स्वैच्छिक स्वीकृति (Free will Consent) देने में दिक्कत क्या है...?
प्रश्न पूछने वाले को ही मैंने प्रश्न किया, जब आप के बेटी-बेटियों की पहले से ही ID ‘आधार’ के नाम से बनायी हुई है, तो अलग से बनाने की क्यों जरूरत पड़ रही है?
जब पीछे से माँ-बाप की दी हुई अनुमति निरस्त की जा सकती है, तो अनुमति लेने का उद्देश्य क्या है?
सबसे बड़ा प्रश्न आपकी संतानों की जानकारी जो एक बार सिस्टम में अपलोड हो चुकी है और आगे भी मल्टीनेशनल कंपनियों को दी जा चुकी होगी, उसे माँ-बाप की अनुमति निरस्त होने पर कैसे रोक पायेंगे?
जैसे करोड़ों आधार कार्ड का डाटा लीक हो चुका है, वैसे ही इस अपार आइ-डी का डाटा लीक नहीं होगा, उसकी गारंटी कौन दे सकता है भला? पूरे विश्व में एक भी इंसान डेटा लीकेज ना हो ऐसी गारंटी आज के समय में नहीं दे पाता है, तब ऐसी ID बनाने के पीछे मक्सद क्या हो सकता है?
मक्सद मैं आपको बताना चाहूँगा। इस अपार ID के बारे में स्वयं भारत सरकार जो अधिकृत जानकारी दे रही हैं, वह (P. No. 14 में) इस प्रकार है कि आपकी संतानों को सुपोषण (न्यू ट्रीश्यन) के नाम से PM POSHAN YOJNA के तहत समय-समय पर वीटामीन्स, प्रोटीन्स के सप्लीमेंट्स एवं वैक्सीन दी जाने वाली है। बार-बार दी जाने वाली वैक्सीन के लिए आपको यानी बच्चे के माँ-बाप या केर टेकर (अभिभावकों को) बार-बार पूछना ना पड़े इसलिए अपार ID बनायी जा रही हैं।
Digi लॉकर (डिजीटल लोकर) बनेगा आपके बच्चों का। जिस में आपके बच्चों की स्कूल (कौशल) ट्रेनिंग, ड्रॉप आउट हिस्ट्री, प्रोग्रेस (प्रगति), डिग्री सर्टिफिकेट इत्यादि डाला जायेगा और जरूरत पड़ने पर मल्टीनेशनल कंपनियों को आपके बच्चों की सारी बातें जिस में से सीसी-टीवी कैमरा फुटेज, फेस रिकॉग्निशन तकनीक से प्राप्त विविध मुद्राएं उन बच्चों के बीहेवियर (बर्ताव) इत्यादि सब कुछ है, वह दिया भी जा सकता हैं।
वैसे तो ये लोग बता रहे है कि, हम आपको पूछे बिना कुछ भी, किसी को भी देंगे नहीं, लेकिन... यदि कोई हमारी सिस्टम में से डाटा चोरी कर ले या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा के कारण आप के संतानों की गोपनीय जानकारी किसी को साझा करनी पड़े, आशंका के आधार पर भी ऐसा करने में कोई उन्हें रोक नहीं सकता है।
फ़्रांस में स्कूलों के अंदर जब अनैतिक, अनावश्यक पाबंदियाँ लगनी शुरू हो गई, तो मुसलमानों ने अपनी संतानों को स्कूलों में से उठाना शुरू कर दिया। फ़्रेंच सरकार ने कानून बनाकर स्कूल में पढ़ाना अनिवार्य कर दिया। कईबार हम लोग ऐसे समाचार सुनकर अंदर से खुश होते है। चलो कुछ टेढ़े लोगों को सीधा करने के लिए सरकार ने तो कमर कसी है। मगर, समाचार और सत्य में कई बार बड़ा अंतर होता है, कल यहाँ पर भी सर्वशिक्षा अभियान, शिक्षा अधिकार से आगे बढ़कर शिक्षाआतंक बन जाये, और शिक्षा के नाम पर वैक्सीन इत्यादि की दादागिरी बढ़ जाये, तो माँ-बाप के पास अपने बच्चों को स्कूल से उठा लेने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा।
अपार ID का एक प्वाइंट यह भी गौर करने लायक है कि, उसमें Credit Score (क्रेडिट स्कोर) भी जाँचा जाएगा।
आपके बच्चों पर क्रेडिट स्कोर के नाम से इतना प्रेशर खड़ा किया जाएगा कि शायद आने वाले भविष्य में छोटे बच्चों में आत्महत्या के क़िस्से बढ़ जाये।
आप जब अपार ID के फॉर्म में अपनी ही मनमर्जी से हस्ताक्षर कर देते हो, तो बाद में मना करना भी मुश्किल ही हो जाता है। वे लोग 10 प्रश्न करेंगे, पहले तो आपने अपनी ही स्वेच्छा से * इस पत्र में हस्ताक्षर किए थे, अब आप क्यों अपनी अनुमति वापस ले रहे हो? ऐसा क्या हो गया?
आप अपना कन्सेन्ट (अनुमति) withdraw भी कर सकते हो, ऐसा लिख रहे हैं, लेकिन आपने दी हुई जानकारी वे डिलीट कर देंगे? कितने लोगों तक आगे पहूँचेंगी? इसकी कोई भी गारंटी मीनीस्ट्री (मंत्रालय) दे नहीं रही।
क्रेडिट स्कोर यानी इंसानों का गुलाम बनाने का एक बढ़िया-नया तरीका... मान लो की दो बच्चे विद्यालय में पढ़ रहे हैं। दोनों सातवीं कक्षा में है, दोनों को वार्षिक परीक्षा में 590-590 नंबर आये हैं लेकिन जो बच्चा Sports (खेलकूद) में हिस्सा लेता है, उसे एक्स्ट्रा (अतिरिक्त) क्रेडिट स्कोर मिलेगा। स्पोर्ट्स में हिस्सा लेने वालों के लिए टीका (वैक्सीन) अनिवार्य किया जायेगा।
यदि आपके बेटे या बेटी ने वैक्सीन नहीं लेने के चक्कर में स्पोर्ट्स में हिस्सा ना लिया, तो उसे 590 नंबर होने पर भी और दूसरे बच्चे का 570 या 580 नंबर होने पर भी, दूसरे वैक्सीन ली होने से (स्पोर्ट्स में हिस्सा लेने से) उसका क्रेडिट स्कोर बढ़ा दिया जायेगा। इस प्रकार से इमोशनल प्रेशर बनाया जा सकता है।
आप याद कीजिए, कोविड काल में भी आप पर प्रेशर बनाया गया था कि, आपने टीका लिया है या नहीं लिया है, आप हमें बताए क्योंकि हमें इस का डाटा ऊपर भेजना हैं। हमें आदेश है, ज़बरदस्ती इतने टीके लगवाने का...
आज छोटे बच्चों के (पीडियाट्रीक) डोक्टर आपके बच्चों की सर्दी-जुकाम-बुखार जैसे सामान्य दर्द की दवाई करने से भी इनकार कर देते है, यदि आपने उसे वैक्सीन नहीं दिलवाई है तो...
‘अपार’ की संभावनाएँ भी अपार है।
डीजिटल लोकर बनने के बाद आपको जितने फ़ायदे गिनाये जा रहे है, एक प्रतिशत भी नुकसान बताया नहीं जा रहा है, इससे ही पता चल जाता है की अपार ID की दाल में कुछ काला है, ना... मेरी दृष्टि में तो दाल ही पूरी की पूरी काली हैं।
यह लोग आधार कार्ड को भी स्वैच्छिक (वोलन्टरी) ही बता रहे थे, लेकिन आप का बैंक अकाउंट इत्यादि सब को उस से ही जोड़ दिया, आपको अनिवार्य रूप से आधार कार्ड बनवाना ही पड़ा।
यह लोग ‘कोविड टीके’ को भी स्वैच्छिक (वोलन्टरी) ही बता रहे थे, लेकिन जब दस दरवाजों में से नव दरवाजे बंद कर दीये जाते हैं और होल में आग लगाकर कहा जाता हैं कि आपको दसवें दरवाजे में से जाना हो तो जा सकते हैं, मैं आप को फोर्स नहीं कर रहा, तब इंसान क्या करेगा?
दसवें दरवाजे के बाहर ही स्लोटर हाउस है, जो काटने के लिए तैयार है, फिर भी मजबूरी में इंसान दसवें दरवाजे से ही बाहर जायेगा ना?
ठीक उसी प्रकार ‘अपार ID’ का भी है। कहने के लिए तो अनिवार्य नहीं है, लेकिन माहौल ऐसा बनाया जा रहा है कि आपको अनिवार्य रूप से ‘अपार ID’ आपकी संतानों की बनवानी ही पड़े।
यहाँ पर सबसे बड़ा झोल तो यह है कि, एक जमाने में हमारे पास लैंडलाइन फोन था, तब हमारे संपर्क में रहे 500 लोगों के नंबर हमारे डायरी में रहते थे। अब 7000 नंबर हमारे मोबाइल में या गूगल ड्राइव पर सेव है। हमारे दिमाग में एक-दो ही बचे हैं।
यदि आपके बच्चे की सारी इनफार्मेशन डिजिटल लोकर में इसी प्रकार सेव कर दी गई और किसी कारण से आपके बेटे का अकाउंट गवर्मेन्ट ने ब्लॉक कर दिया, तो उसकी कैरियर चौपट हो जायेगी।
ग्रीड (बिजली) शटडाउन हुआ या इंटरनेट डाउन किया गया। एनर्जी क्राइसिस आ रही है, तब 15/20 दिन तक इंटरनेट बंद कर दिया जाना है, तब आपके डिजिटल रिकॉर्ड का क्या होगा? पूर्व में डायरी या बुक में लिखे गए पन्ने हाथों में रहते थे, आपका सर्टिफिकेट इत्यादि कागज में है, तो सुरक्षित रह सकते थे। लेकिन जब सब कुछ ONLINE कर दिया जायेगा और उसे सरकार Block कर देगी। तो आपका बेटा नौकरी या धंधा कुछ भी नहीं कर पायेगा।
Online भी उड़ गया, ऑफलाइन तो रखा ही नहीं हैं।
Offline तो वैसे ही Off (Expire) हो चुका है।
फिर तो आपका बेटा धोबी का कुत्ता बन जायेगा, न घर का, न घाट का...
संक्षेप में अपार ID के नुकसान समझ लेते हैं...
1) आपकी संतानों को आपकी (यानी अभिभावकों की) अनुमति पहले से ही अपार ID के कन्सेन्ट (अनुमति) फ़ॉर्म में आपके हस्ताक्षर के माध्यम से मिल जाने पर, आपको पूछे बिना ही HPV, पोलियो, रूबेला, कोविड, फ्लू इत्यादि का टीका दे दिया जाएगा। आपके हाथों को आपने ही अपने हाथों से बांध जो दिया है, आप चुपचाप तमाशा देखे बिना कुछ भी नहीं कर पाएंगे। याद रहे... एजुकेशन के साथ हेल्थ को भी अब इस में जोड़ दिया गया है।
2) अपार ID में आपने अपनी संतानों का जो भी डाटा फीड करवाया है, वह डाटा लीक हो सकता है, चोरी भी हो सकती है, जिस से आपके बेटे-बेटियों को अनावश्यक सूचनाएँ बहुराष्ट्रीय कंपनियों के द्वारा मिलती रहेगी। आपके बेटे को ऐसे शूज़ की या ऐसे कपड़ों की जरूरत है, आप की बेटी को ऐसे गर्म स्वेटर की जरूरत है, क्योंकि वो जुकाम की मरीज़ है। यह ID परमानेंट है, यानी परमानेंट नंबर और परमानेंट झंझट...
3) डिजिटल फॉर्म में रही चीजों का चाईना की तरह भरोसा नहीं कर सकते हैं। कभी भी उड़ सकती है।
4) साइबर क्रीमीनल्स को अब शिकार ढूंढने की क्वायद नहीं करनी पड़ेगी, आपकी संतानों के मोबाइल नंबर इत्यादि भी भविष्य में इस ID में फीड करने होंगे। आपकी संतानों की हर एक एक्शन उनकी नजरों में आ जाए, ऐसी सुविधा आपने स्वयं ने ही यदि कर दी तो।
Chess में विजेता वो है, जो सामनेवाले अपोनन्ट (विपक्ष) की हर चाल को समझ लेता है,
Chess में पराजित वो है, जो सामने रहे प्रतिपक्षी की चाल नहीं समझ पाता है।
आप क्या बनना चाहते हो? विजेता या पराजित?
[आधारभूत जानकारी प्राप्त करवाने के लिए विशेष धन्यवाद :
गवर्नमेंट वेबसाइट, एड. साहिल गोयल, मनिषभाई जैन, भिवंडी]
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