छगन: “चिंटू! तू मेरी निजी बातें भले ही जान गया, लेकिन किसी को बताना मत। मैं तुझे चॉकलेट दिलाऊँगा।”
चिंटू: “मुझे चॉकलेट पसंद नहीं है।”
छगन: “तो तुझे क्रिकेट का बैट दिलाऊँगा।”
चिंटू: “वो तो मेरे पास पहले से है।”
छगन: “तुझे अच्छी सी Jeans दिला दूँगा।”
चिंटू: “मुझे उसका क्या करना है?”
छगन: “तो बोल! तुझे क्या चाहिए?”
चिंटू: “मुझे तो यह बात सबको बतानी है।”
किसी की निजी बातों को दूसरो को बताने में चॉकलेट, बैट या Jeans से ज्यादा आनंद मिलेगा। दूसरों की कमियाँ देखने में, दूसरों की निजी बातों को जानने में, दूसरों की खामी, दूसरों के दोष देखना यह तो बहुत पसंददीदा बातें हैं। पर उससे भी आनंद देने वाली बात तो यह है कि, ऐसी बातें दुनिया को बता देना।
जिस तरह न्यूज़ चैनल्स अपनी चैनल देखने वाले दर्शकों की संख्या बढ़ जाए उसके लिए ब्रेकिंग न्यूज़ रीले करते रहते हैं। उसी तरह दूसरों की निजी बातें तीसरे के कानों में कहना भी अपनी अपेक्षा से ब्रेकिंग न्यूज़ है। उसमें निंदा रस की भी पुष्टि होती है, और 'मैंने कैसे गुप्त समाचार दे दिए' इस बात से एक प्रकार का अहंकार भी संतुष्ट होता है।
दूसरों की पर्सनल-प्राइवेट लाइफ को पब्लिक कर डालने के इस आनंद में अपनी खुद की खामियाँ देखनी रह जाती हैं। व्यक्ति अपनी एक भी गुप्त बात दूसरों को पता नहीं चलनी चाहिए उसके लिए सावधान रहकर, दूसरों की गुप्त बातों का पता लगाकर उसे घोषित करने में लगा रहता है। उसे चाहिए आम, लेकिन वह बोता है बबूल। खुद को स्वर्ग में जाना है, पर उसके लिए दूसरा मर जाए, ऐसा चाहता है।
इंसान को खुद सुधरना नहीं है, दूसरा भी सुधर जाए, ऐसी भावना नहीं है। उसे तो मात्र उसमें ही रस है कि जगत को पता चले कि, सामने वाला कितना बिगड़ा हुआ है।
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