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अमीर महान या सज्जन ?

Updated: Apr 12




एक बार चार युवक महान फिलोसोफर सॉक्रेटिस से मिलने गए। उनके साथ थोड़ी बात करने के बाद सॉक्रेटिस ने उनको पूछा : आपको भविष्य में क्या बनने की इच्छा है ?

पहले युवक ने कहा : मुझे विज्ञान में विशेष रूचि है और विश्व प्रसिद्ध बनने का मेरा सपना है। नई-नई शोध करके दुनिया में नाम और प्रतिष्ठा प्राप्त करूंगा।

दूसरे युवक ने कहा : मुझे फिलोसोफी में रूचि है। मैं दिन-रात अभ्यास करता हूं और जीवन के गूढ़ रहस्यों को प्राप्त करने का प्रयत्न करता हूं। मुझे आप जैसा बड़ा चिंतक बनना है।

तीसरे युवक ने कहा : मुझे साहित्य के प्रति बहुत आकर्षण है। मुझे साहित्यकार बनने की इच्छा है, और इस इच्छा को पूरी करने के लिए मैं दिन-रात लिखता रहता हूं – मेहनत कर रहा हूं।

और फकीर जैसे दिखने वाले चौथे युवक ने 

कहा : मेरी कोई महत्वाकांक्षा ही नहीं है। 

इस बात को सुनकर…

तीनों युवक बोले : यह तो पागल आदमी है। इसे जीवन में कुछ भी करने की इच्छा नहीं है इसलिए यह हंसी का पात्र बना हुआ है।

सॉक्रेटिस ने तीनों युवकों को बोलते हुए रोककर चौथे युवक से पूछा : क्या यह सच है तुम्हें कुछ भी करने की इच्छा नहीं होती ?

तो वह बोला : मुझे बड़ा वैज्ञानिक, अमीर आदमी, बड़ा साहित्यकार, फिलोसोफर ऐसा नहीं बनना है। मुझे तो केवल अच्छा-सज्जन आदमी बन कर जीवन जीना है।

सॉक्रेटिस खुश होकर बोले : बहुत बड़ी बात कही तुमने। क्यूंकि वैज्ञानिक, अमीर, साहित्य-कार, फिलोसोफर बनना आसान है, लेकिन सज्जन बनना बहुत कठिन है। और इसलिए ही इसे मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी सफलता कही गई है।

सॉक्रेटिस की और चौथे युवक की यह सरल और सहज बातें अगर लोग समझ गए तो दुनिया में आतंकवाद-संघर्ष-भ्रष्टाचार-व्यभिचार-दुराचार  का नामोनिशान मिट जाएगा।

सूरिपुरंदर पूज्य आचार्य श्री हरिभद्र सूरिजी म.सा. ने ‘धर्मबिन्दु ग्रंथ में‘ मार्गानुसारी के 35 गुण दिखाकर मोक्षमार्ग में आगे बढ़ने की योग्यतापात्रता पाने के लिए ‘सज्जन’ बनने की प्रेरणा की है।

“जो धनवान है, उसके आत्मविकास का कोई भरोसा नहीं, 

परंतु, जो सज्जन है, उसका आत्मविकास अवश्य-मेव होता है।“

“श्रीमंत को लोग पहचानते है,

सज्जन को लोग चाहते है।“


“अमीर को सम्मान मिलता है, किन्तु, 

सज्जन को सच्चा सुख मिलता है।“

Q. हमारा लक्ष्य क्या है ?

Q. अमीर बनना है या सज्जन ?

Q. बड़ा आदमी बनना है या महान ? 

Q. धनवान बनना है या गुणवान ?

आओ, संकल्प करें।

“मैं अमीर बनने से पहले सज्जन अवश्य बनूंगा।”

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