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नमस्ते फ्रेंड्स !
मुझे मालूम है कि आपको थोडा अजीबो गरीब लगेगा, पर अभी बायडिफोल्ट कोरोना के चीनी ड्रैगन ने सभी को हाय और हेल्लो पर से नमस्ते पर लाकर रख दिया है।
So that is Corona effect…
दर असल बात यह है कि. दुनिया के अनगिनत धर्मो में से सिर्फ एक जैनधर्म ही ऐसा है,जो इस बात का विश्वास एवं भरोसा दिलाता है कि “आप भी भगवान बन सकतें हो ”आप चाहे कोई भी क्यों न हो, जैन हो या अन्यधर्मी, बच्चे हो या बुजुर्ग़, पुरुष हो या महिला… हाँ, आप भी भगवान बन सकते है।
रास्तें भी एक दो ही नहीं, बल्कि बीस-बीस हैं। Choice Yours, आप को जो पसंद हो चुन लो… सभी रास्ते वैसे बहुत आसान हैं, पर कहीं कहीं मुश्किल भी हैं, पूरी दुनिया के परमात्मा बनना भला इतना भी आसान कैसे हो सकता है ?
शास्त्रों में उसे ‘बीस स्थानक’ कहे गये है। कभी आप मंदिर में पूजा करने जाते होंगे तभी ध्यान से देखोंगे तो देख पाओगे कि हर एक बड़े मंदिर में लगभग बीस स्थानक का यंत्र होता हैं, जो धातु के गोल पट्ट पर बनाया गया होता हैं।
उन बीस स्थान को ही हम बीस स्टेप्स कहेंगे…
एक एक स्टेप्स हमें सीधा परमात्मा बना सकता है। ऐसी कुछ खासियत हैं इनमें, ऐसा कुछ पावर हैं इनमें।
सबसे पहेला सोपान है – अरिहंत पद।
आप सभी जानते ही होंगे कि नमस्कार महामंत्र में भी सर्वप्रथम अरिहंत प्रभु को ही नमन किया गया हैं -” नमो अरिहंताणं “
किसी भी श्रीमंत के आगे पीछे घूमनेवाले, उनके इर्द गिर्द भीड़ ज़माने वाले लोगों के मन में एक भावना तो अवश्य ही रहती हैं कि, उस श्रीमंत की नज़र पड़ जाए, तो वो भी श्रीमंत बन जाए। पर ऐसे दयालु सेठ बहुत कम मिलते है जो खुद के नौकर को खुद के जैसे बना दें।
अरिहंत परमात्मा की उपासना मे वह शक्ति है, वह ताकत है, वह जोश है कि जिससे भक्ति करने वाला खुद भी भगवान बन जाता है।
इसलिए पंचसूत्र नाम के ग्रंथ में कहीं है – “अचिंतसत्ती जुत्ता हि ते भगवंतो” यानी “अरिहंत भगवान अचिंत्य शक्ति शाली है।”
तो यह हुआ अरिहंत बनने का पहेला स्टेप। आप रोजाना भगवान कि पूजा करें, भगवान के दर्शन करें, और उससे भी ज्यादा भगवान की स्तुति करें,तब आप को भी भगवान खुद के जैसा बना देंगे।
अगर आपको स्तवन नहीं आता या कोई भी भजन – भक्तिगीत नहीं आता, इस वजह से आप चिंतित हो कि क्या करें और कैसे करें ?
तो दोस्तों! चिंता ना करें आप के पसंदीदा तर्ज पर यहाँ पर पेश किया जाता हैं एक सुंदर भक्तिगीत! इसे गाईए और प्रभु से प्रभु बनने का सौदा पक्का कर लीजिए…
।। अरिहंत पद ।।
(कव्वाली : झोली भर दे…)
तेरे दरबार आ में खड़ा हूं,
मुझ को भी तेरे जैसा बना दे।।
मैंने ढूंढा तुझे इस जहां में,
हर जगह पर जमी आसमा में।
मैं थका और भीतर से तू बोला,
“मैं यही हूं तेरी आत्मा में ” ।। 1 ।।
तूने सबकी भलाई ही चाही,
उससे दुनिया की दौलत कमाई।
मैं तो करता रहा छेड़खानी,
मैंने खुद ने ही खुद की बिगाड़ी ।। 2 ।।
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