कुछ दिन पहले समाचार के सभी माध्यमों में (इलेक्ट्रोनिक मीडिया हो चाहे प्रिन्ट मीडिया हो या सोशल मीडिया हो) तीन दिनों तक लगातार एक खबर बहुत जोरो से ट्रेन्ड हुई।
एक दिन तो फ्रन्ट पेज पर भी वो खबर आ गई। वो खबर थी “गर्भवती हथिनी की हुई दर्दनाक मौत”
केरला में किसी शरारती व्यक्ति ने विस्फोटक से भरा खाद्य पदार्थ खिलाकर गर्भवती हथिनी को बड़ा नुकशान पहुँचाया था और जिस के कारण लगातार कुछ दिन तक वो हथिनी पानी में भूखी-प्यासी खड़ी रही, आखिर मर गई।
इस खबर से किसी भी दयालु- जीवदयाप्रेमी का दिल आहत हो, इस में शक की कोई गुंजाइश नहीं थी मगर प्रश्न तब खड़ा हुआ जब इसे लगातर प्रचारित किया गया।
शक करने का मन तब हुआ जब क्रूरता से पशु हत्या कर, उस का मांस खाने-बेचने वाले भी इस अभियान में दया का ढोंग करने के साथ सब से आगे दिखें। हर साल भारत देश में करोडो पशुओं की क्रूरता से कत्ल होने के बावजूद चुप रहने वाली NGT (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) जैसी पर्या-वरणप्रेमी संस्था (राष्ट्रीय संस्था) भी इस खबर में कूद पड़ी और उसने अपना बयान दर्ज कराया कि “शायद जंगलों में वन्य जीवों के संरक्षण के नियमों का पालन नहीं करने के कारण उनका मनुष्य से संघर्ष होने और पशुओं की जान खतरे में आने संबंधी अनेक पहलुओं के कारण इस तरह की चीजे हो रही हैं।
? इतना ही नहीं केरला की साइलेंट वैली जंगल में हुयी गर्भवती हथिनी की मौत के मामले का संज्ञान लेते हुए नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एक समिति भी बनायीं हैं और उसे एक्शन टेकन रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया हैं।
? एन.जी.टी ने पर्यावरण और वन मंत्रालय, केरल सरकार तथा अन्य पक्षों को नोटिस जारी कर 10 जुलाई से पहले जवाब देने को कहा है।
? जंगल में रहने वाले वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए जागृति रखना बहुत ही अच्छी बात होने पर भी दाल में बहुत कुछ काला दिख रहा हैं।
कुछ दिन पूर्व पाकिस्तान की हाई कोर्ट के जज ने भी वहाँ के चिडी़याघर (ZOO-प्राणी संग्रहालय) में रहने वाले हाथी को हुई परेशानी पर चिंता जताई थी और उसे जंगल में सुरक्षित छोड़ देने का आदेश दिया था। साथ में यह भी बताया था कि इन प्राणीयों को भी जीवन जीने का उतना ही अधिकार हैं,जितना हम इंसानों को हैं। प्राणी पर दया करने की बात उन देश के शीर्षपद पर बैठे लोगों से सुनने में आ रही हैं, जिसके लिए हमने कभी कल्पना ही नहीं की थी।
खबर की गहराई में जाने पर जो पता चला हैं वो सच पाठकों के सामने उजागर करते हुए मुझे हर्ष भी हैं और भविष्य के लिए चिंता भी…
सन-1992 में ब्राझिल की राजधानी रियो-डि-जानेरो में 100 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि एक कार्यक्रम के लिए उपस्थित हुए थे। UNO के माध्यम से रखे गए इस कार्यक्रम को EARTH Summit नाम दिया गया था और जिस में Agenda-21 लॉन्च किया गया था।
अजेंडा- 21 को सस्टेइनेबल डेवलपमेंट गोल का लुभावना नाम दिया गया था और जिस में पर्यावरणरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, विकास की आकर्षक परियोजना प्रस्तुत की गयी थी। इन दस्तावेज पर सभी (100) राष्ट्र के प्रतिनिधियों की दस्तखत भी ली गई थी और उन्हें तय किए गए मुद्दो को अमली जामा पहनाने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी।
अजेंडा- 21 में मुख्य रूप से 6 बिंदु निर्धारित किये गए थे। मैं यहाँ पर उन 6 बिंदु की बात नहीं करना चाहता, (वो मैं भविष्य में बताउँगा) मगर वर्तमान में जो हथिनी की मौत का मुद्दा हैं उस का इससे क्या रिलेशन है, वह स्पष्ट करुँगा।
अजेंडा- 21 के 6 बिंदु में से तीसरा बिंदु था, जंगल एवं वन्यजीवों की सुरक्षा हेतु, वनवासीयों को वहाँ से निष्कासित किया जाए एवं उन्हें बाहर कही और जगह पर बसाया जाए।
एक हथिनी की मौत क्रूरता से होना या हत्या कर देना शायद छोटी बात हैं – मगर इस के पीछे जो घिनौनी सोच हैं वो बहुत बड़ी बात है। बहुत ही खतरनाक बात हैं।
पूज्यपाद पंन्यासप्रवर श्री चन्द्रशेखर विजयजी महाराज साहेब अपने प्रवचनो में कई सालो तक बोलते रहे थे कि विश्व की बड़ी-बड़ी संस्थाओं की गंदी नज़र हमारी जमीं, जंगल और जलस्रोत पर हैं।
मगर… उस वक्त हमें उनकी ये सारी बातें कही से भी धरातल पर उतरती नजर नहीं आ रहीं थी। आज चित्र साफ़–साफ़ दिख रहा है कि हमें गुलाम बनाने के लिए हमें मिले प्राकृतिक संसाधनों को अब ये लोग हथियाना चाहते हैं और वो भी हमे पता भी न चले इस प्रकार…
अमेरीका में अभी-अभी 11000 डॉक्टर्स की रैली निकली थी, वो भी इसी बात को सुचित कर रही हैं।
विगनिज्म अपनाने के लिए प्रचार-प्रसार रैली निकालने वाले ये डॉक्टर्स नारे लग रहा थे ”GO VEGAN”। कोरोना के पीछे मांसाहार की थ्यौरी प्रस्तुत करके ये लोग कृत्रिम मांस के प्रचार- प्रसार में जी जान से लगे हुए हैं।
जिस के पीछे राज़ यह है कि एक पूंजीपति ने Beyond Meat नामक संस्था में करोड़ो डॉलर का निवेश किया हुआ हैं। ये वो कंपनी है जो दावा करती है कि उसका बनाया मांस कृत्रिम मांस (ARTIFICIAL MEAT) हैं और वो पेड़-पौधे से बनाया गया हैं। अंदर की बात बताउँ तो इस मीट में फ़र्टिलीटी रेट (प्रजनन सामर्थ्य) कम करने वाले हॉर्मोन डाले गये हैं। माईक टायसन जैसे बड़े-बड़े सेलिब्रीटीज़ को विगन के प्रचार में लगा दिया गया हैं।
गर्भवती हथिनी की मौत के पीछे दो निशाने साधने हैं। जंगल में जो वनवासी लोग हैं,उन्हें निष्कासित कर के जंगल की जमीं का कब्ज़ा बड़ी-बड़ी बहु राष्ट्रीय कंपनीयों (MNC’S) को देना है और प्राणी पर दया का ढोल (ठोंग) बजाकर सभी को विगन पद्धति की ओर मोड़ना है और यह दोनों लक्ष्य की और वे निरंतर प्रगतिमान हैं।
हम लोग अपने दिल के साथ-साथ दिमाग को भी काम पर लगाएँगें तो इन खुराफाती तत्वों की षड्यंत्रकारी योजना से अपने आप को बचा पायेंगे। बाकी तो भगवान बचाये इस देश को… और मेरे प्यारे देशवासीयों को …
(2019 – जनवरी में लिखा गया मेरा लेख “Vegan (वीगन) का काला सच“ पढ़ने के लिए संपर्क करे :
91665 68636 – WhatsApp No.)
Comments