तीन लोग एक गाँव में दाखिल हुए। उन्होंने गाँव में प्रवेश करते ही जो पहला घर आया, उसके आंगन में खड़े होकर आवाज लगायी। सज्जन जैसे दिखने वाले उन तीन लोगों की आवाज को सुनकर एक स्त्री बाहर आयी। उसने उनका स्वागत किया और कहा कि, “आप अंदर आइये, और दोपहर का भोजन लेकर ही जाना।”
उन तीनों ने कहा कि – ‘हकीकत में हम भोजन की आशा लेकर ही आपके आंगन आये हैं।’
उस स्त्री ने कहा कि – ‘अतिथि तो भगवान का रूप कहलाता है। मैं वैसे भी आपको बिना भोजन किए जाने ही नहीं देती!’
उन तीनों लोगों ने उस स्त्री से कहा कि, ‘हम तीनों की एक प्रतिज्ञा है कि, किसी भी एक घर में हम तीनों एक साथ भोजन करने नहीं जाते। कोई भी एक घर में हम तीनों में से केवल एक ही भोजन कर सकेगा।’
उस महिला ने कहा, ‘मैं समझी नहीं कि, आपने ऐसी प्रतिज्ञा क्यों ली है?’
तीनों में से एक ने कहा कि, “देखो बहन! मैं समृद्धि हूँ, दूसरा इंसान सफलता है और तीसरा इंसान प्रेम है। अब हम तीनों में से कोई एक ही इंसान आपके घर में खाना खा सकेगा। तुम्हें पसंद करना है कि, तुम्हें अपने घर में आने का आमंत्रण किसे देना है?”
वह स्त्री परेशानी में पड़ गई, सोचकर कहा कि – ‘ऐसा ही है तो मैं प्रेम को ही मेरे घर में आने का आमंत्रण दूंगी।’
वे तीनों लोग हँस पड़े। प्रेम महिला के घर के दरवाजे की और मुड़ा। उसके साथ दूसरे दोनों लोग भी उसके साथ अंदर गए।
उस स्त्री ने कहा कि – ‘मैंने तो सिर्फ प्रेम को मेरे घर में भोजन करने का आमंत्रण दिया है, आप दोनों साथ में क्यों आ रहे हैं?’
तब समृद्धि और सफलता रूपी इंसानो ने कहा, ‘देखो बहन! आपने समृद्धि और सफलता को आमंत्रण दिया होता तो बाकी के दोनों लोग बाहर ही बैठे रहते, पर आपने प्रेम को बुला दिया है। और हम प्रेम को कभी अकेला नहीं छोड़ते। वो जहाँ जाता है, हम वहीं उसके साथ ही चलते हैं।
उस महिला के घर पर प्रेम के साथ-साथ समृद्धि और सफलता ने भी प्रवेश कर लिया। वो बहन खुश-खुशहाल हो गई।
अब हमारा सवाल है, हमारे घर में, हृदय रूपी घर में हमें किसे प्रवेश देना है? समृद्धि और सफलता को प्रवेश देंगे, तो क्षणिक आनंद मिलेगा, जबकि प्रेम और स्नेह को प्रवेश देंगे तो दीर्घजीवी आनंद मिलेगा!
प्रेम की अनेक व्याख्याओं में से एक व्याख्या, यानी :
‘दूसरों की भूल को माफ करने की ताकत, यानी प्रेम।’
“दूसरों को धिक्कारने से कभी भी सुख की अनुभूति नहीं होती है।
जीव सत्कार से ही सुख की अनुभूति होती है”
चलो, हम संकल्प करते हैं कि –
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