कहा जाता है, कि प्रवास के पूर्व एक बार प्रार्थना करनी चाहिए, युद्ध के पूर्व दो बार और विवाह के पूर्व तीन बार प्रार्थना करनी चाहिए।
प्रवास के पहले की गई प्रार्थना से शुभ भाव प्रकट होते हैं, जिसके बल पर प्रवास निर्विघ्न सम्पन्न होता है। सामान्यतः प्रवास में खतरा कम होता है, इसलिए एक बार की प्रार्थना से भी काम बन जाता है।
युद्ध में खतरा अधिक होता है, इसलिए दो बार प्रार्थना करनी चाहिए, ताकि सुरक्षा और सफलता मिले। युद्ध सामान्यतः कुछ दिनों में खत्म हो जाता है।
इससे भी अधिक खतरा विवाह में है, यह पूरी जिन्दगी चलता है, इसलिए तीन बार प्रार्थना करनी चाहिए ताकि आप पति के रूप में शान्ति से जीवन जी सकें, पिता के रूप में शान्ति से जीवन जी सकें, और अन्ततः पितामह के रूप में शान्ति से जीवन जी सकें।
तीन बार प्रार्थना करने से पत्नी आपके साथ, सास-ससुर के साथ, देवर-जेठ आदि के साथ अच्छा व्यवहार करेगी।
मोक्षयात्रा सरल है, किन्तु मन से लिपटे दोषों को दूर करने के लिए युद्ध करना मुश्किल है। क्रोध को दूर करना कोई आसान कार्य थोड़े ही है? इसके लिए मन के कुरुक्षेत्र में युद्ध करना पड़ता है। शान्ति नामक सीता को संघर्ष और विवाद नामक रावण हरण करके ले गया है, इसलिए राम-रावण का युद्ध आवश्यक है।
किन्तु इससे भी मुश्किल कार्य इच्छाओं के सन्तोष में, या मन में उठी इच्छाओं को शान्त करने में है। जो व्यक्ति इच्छाओं पर विजय प्राप्त करने में, इच्छाओं को नियन्त्रित करने में सफल हो जाता है वही व्यक्ति दोषों के विरुद्ध युद्ध जीत कर सरलता से मोक्षयात्रा पूर्ण कर सकता है।
Comments