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हेलो फ्रेन्ड्स !
अरिहंत बनने की यात्रा में हम अग्रेसर है।
संसार में कभी भी कोई भी व्यक्ति अपनी सफलता का रहस्य किसी को भी बताना नहीं चाहता। बल्कि वह उस राज़ को हमेशा छिपाने का प्रयास करता है। उसके पीछे एक यही कारण होता है, कि सफलता प्राप्त व्यक्ति एकमेव व अद्वितीय बनना चाहता है, यदि संसार में उसके जैसे अनेक व्यक्ति हो जाएंगे, तो उसकी अद्वितीयता खण्डित हो जाएगी, एवं उसके चाहने वाले बँट जाएंगे, अतः उसकी मंशा रहती है, कि वह अकेला ही सबसे अग्रिम व सुप्रिम स्थान पर रहे।
परंतु, जिनशासन के सर्वोच्च पद पर आसीन सर्वसत्ताधीश धर्मचक्रवर्ती महाराजाधिराज श्री अरिहंत परमात्मा खुद अरिहंत परमात्मा पदवी प्राप्त करने के बाद भी उस मंजिल तक पहुँचने का मार्ग जन-जन से छिपाकर नहीं रखते, अपितु वह तो जन-जन के समक्ष उस मार्ग को प्रकट करते है, खुद कहते है, बताते है, कि यह रास्ता तुम्हें अरिहंत बना सकता है।
अरिहंत प्रभु की उदारता व करूणा की परा-काष्ठा तो देखो, कि वह संसार के समग्र जीवों को खुद के जैसा बनाना चाहते है। अतः वो खुद अरिहंत बनने का रास्ता, अपनी सफलता का रहस्य इन्हीं बीस स्थानकों को बताते है। वे कहते है – ओ संसार के जीव! आप इन बीस स्थानकों की आराधना-उपासना करें, उनके प्रति भक्ति व बहुमान रखें, तब आप भी अवश्यमेव मेरे जैसे ही अरिहंत बन पाओगे।
अरिहंत प्रभुने स्वयं बताई हुई एकदम खरी ऐसी अरिहंत बनने की फॉर्म्युला का आठवाँ चरण है “ज्ञान पद”।
ज्ञान (Knowledge) और जानकारी (Information) – दोनों के बीच बड़ी ही पतली सी भेद-रेखा पड़ती है।
♠ जो बुद्धि की शक्ति को बढ़ाये वह जानकारी,
जो आत्मा की समृद्धि को बढ़ाए वह ज्ञान।
♠ जो उपयोग करना सिखाए वह जानकारी और
जो उपयोगी बनना सिखाए वह ज्ञान।
♠ जो भोगी बनाए वह जानकारी और
जो योगी बनाए वह ज्ञान।
♠ जो पदार्थों का उपभोग सिखाए वह जानकारी,
ओर जो पदार्थों का त्याग सिखाए वह ज्ञान।
किसी का मोबाइल रीपेर करने के लिए आपके पास जानकारी होनी चाहिए, पर किसी के मन को एवं किसी के रिश्ते को रीपेर करना हो, तो ज्ञान के शरण में जाना होगा।
वस्तु कैसे बनाना, कैसे चलाना, यह जानकारी सिखाएगी, व्यक्ति के साथ कैसे जुड़ना व कैसे उसके साथ जीवन जीना, और आखिर में खुद कैसा व्यक्ति बनना वह ज्ञान सिखाएगा।
आज संसार में ज्ञान से ज्यादा जानकारी की बोल बाला है, इसी कारण, खून है, रेप है, दंगे-फसाद है, संबंध विच्छेद है, अपनों के साथ परायों जैसा बर्ताव है। ज्ञान की उपेक्षा होने से जोर जुल्म है, आतंकवाद है, युद्ध है, विश्वासघात है, कलह है, प्रपंच है।
इसी कारण कहूँगा कि ज्ञानी बनें, सिर्फ कोरी और सूखी जानकारी से क्या हाथ लगेगा? कुछ भी नहीं।
हाँ, जानकारी से लोग प्रभावित होंगे, पर परमात्मा… कभी नहीं। चलिए, ज्ञान धन को अर्जित करने के राह पर कुछ कदम चलें साथ-साथ।
और फिर यह एक गीत गुनगुनायें साथ-साथ।
।। ज्ञान पद।।
(तर्ज : फूलों सा चेहरा तेरा…)
जीवन की समस्याओं का मिलता समाधान है;
आगम का ज्ञान वो, तत्त्वों की खान है, जैनों का अभिमान है…
तारे है तुमने लाखों करोड़ों, अब मेरी बारी कब आयेगी?;
तेरी कृपा से उज्जड जीवन में, खुशियों की बारिश बरस जायेगी;
छाया है अंधेरा, दुःख ने डाला डेरा, कोई नहीं मेरा, सिर्फ तेरे बिना;
तू मुझे निहाले, आत्मा को निखारे, कर्म को निकाले और शुद्ध बना दे;
तुझमें है वो ताकत भरी, ये मेरा विश्वास है… आगम…(1)
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