आज से वर्षों पहले यदि किसी व्यक्ति को विरोध करने का जुनून सवार हो जाता था, तो वह अपनी अन्तर्व्यथा गुमनाम रूप से पत्रिकाएँ छपवाकर उनके गट्ठे व्याख्यान सभा, देहरासर के चौराहे या जाहिर कार्यक्रम के स्थलों पर छोड़कर चला जाता था।
लेकिन…
ऐसे काम भी सभी के बस के नहीं होते थे, हर कोई ऐसा नहीं कर पाता था। किसी के लिए भय… तो किसी के शर्म रुकावट बनकर रास्ता रोक देती थी।
अब वर्तमान समय में ऐसा हुआ है, कि…
सभी के हाथों में Smart phones आ गए हैं और उसमें भी उन्हें Social media के जरिए Open platform मिला है। सभी WhatsApp, Face-book, Instagram, Twitter का उपयोग करने लगे हैं।
लोगों को इनका उपयोग करना चाहिए या नहीं? इसकी चर्चा करने का या इस पर उपदेश देने का यह समय नहीं है।
क्युँकि इस Social media का व्याप अब बहुत ही बड़ गया है।
सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक, ऐति-हासिक, मनोरंजन इत्यादि कई क्षेत्रों के साथ-साथ धार्मिक क्षेत्र भी इस Social media के साथ जुड़ गए हैं।
बहुत बड़ी-बड़ी और सैद्धान्तिक बातें करनेवाले भी स्वयं के पुस्तकों का प्रचार एवं बुकींग WhatsApp से कर रहे हैं (जो कि पहले वह इन सब बातों के कट्टर विरोधी थे)।
Social media हानिकारक ही है ऐसा कहना अर्धसत्य ही सिद्ध होगा, क्योंकि पूरी दुनिया ही Virtual हो रही है, तो “पुराने तरीके ही बेहतर थे” ऐसा आलाप करना अब व्यर्थ होगा।
चाकु या छुरी से डाकू खून करते हैं। दूसरों के जीवन का नाश करते हैं और उसी प्रकार के चक्कु से डॉक्टर ऑपरेशन करके किसी को जीवन-दान देते हैं।
जिन सीढ़ियों से चढ़कर चोर चोरी करते हैं, उन्हीं सीढ़ियों का उपयोग कर पुलिस हमारी रक्षा करती है।
अब “चाकु” को गलत ठहराना या “सीढ़ी” को दोष लगाना इसमें अपनी ही मूर्खता सिद्ध हो सकती है।
ठीक वैसे ही…
इस Social media की ताकत भी ऐसी ही है। यदि इसका गलत उपयोग करेंगे तो शासन की कब्र खोदी जाएगी और अच्छे तरीके से करेंगे तो शासन के अनेक कार्यों का उद्धार सफलतापूर्वक होगा।
जैसे कि; #NoSeaPlaneInShatrunjay (No sea plane in Shatrunjay) के हॅशटॅग के साथ Twitter पर किए गए विरोध को अकल्पनीय और प्रभावशाली प्रतिसाद मिला और शासन के कार्य को सफलता मिली।
इसलिए यह Social media गलत है यह कहना अर्धसत्य ही है।
लेकिन…
बदनसीबी की बात यह है, कि…
जैसे वैज्ञानिकों द्वारा की हुई अनेकानेक खोजों का विश्व के देशों द्वारा उपयोग करने के अलावा जिस प्रकार दुरुपयोग किया है, ठीक उसी प्रकार Social media का भी दुरु-पयोग किया जा रहा है।
राजकीय, राष्ट्रीय, सांसारिक, सामाजिक क्षेत्र में इसका दुरुपयोग हुआ है।
हर कोई मन चाहे वैसे Messages बना-बनाकर Forward करता है, कोई Images बनाता है तो कोई Videos बनाता है। सभी अपने आपको क्रान्तिकारी मान रहा है, जैसे कि; सम्प्रति राजा, कुमारपाल, वस्तुपाल, पेथडशा इत्यादी से भी उत्कृष्ट शासन-रक्षक हैं, इस भ्रम के साथ ये लोग निम्नकक्षा की भाषा का प्रयोग करते हुए अपनी दिल की भड़ास Social media पर निकालते रहते हैं।
Q. भगवान महावीर के समय से लेकर अभी तक जब भी कोई प्रश्न उपस्थित हुए अथवा धर्मानुशासन ग्लानि से च्युत हुआ तो क्या इसी प्रकार भड़ास निकालने के लिए इसी प्रकार मार्ग को अपनाया गया था ?
Q. और इसी प्रकार शासन की बातों को खुलेआम रखना कहाँ का अनुशासन है ?
Q. आप Social media में इन बातों को जिस प्रकार से प्रस्तुत कर रहे हो क्या उनसे आपके प्रश्नों का निराकरण होनेवाला है ?
बातें करने वाले बातें ही करते रहेंगे…
निन्दक लोग निन्दा करते ही रहेंगे।
लेकिन इससे धर्म के विरोधियों को ही मसाला मिलेगा। जो ताली बजाने वाले थे उनको और मजा आ जाएगा लेकिन समस्याओं के समाधान के नाम पर कुछ हासिल नहीं होगा।
रही बात Social media की, तो यहाँ पर सभी लोक समझदार नहीं होते हैं।
इसलिए, जिन लोगों की प्रभु के शासन पर श्रद्धा है और जिनके हृदय में यह शासन वास करता है, उन्हें शासन से सम्बन्धित समस्याओं का पूर्ण रूप से समाधान हो उसके लिए प्रयत्न करने चाहिए।
झूठमूठ से Social media पर stunt करने से कुछ नहीं हासिल होनेवाला।
अपने प्रश्नों का निश्चित और स्थायी समाधान प्राप्त करने के लिए…
? जो-जो चर्चा करने योग्य प्रश्न यदि किसी व्यक्ति से सम्बन्धित हैं, तो केवल उसी के साथ directly बात करके उन्हें solve करने का प्रयत्न करें !
? स्वयं अपने हाथों से उन्हें आपके प्रश्नों की कॉपी पहुँचाएँ !
? यदि उनसे आपके प्रश्नों का समाधान न होता हो, तो उससे होनेवाले नुकसान की जानकारी सम्बन्धित व्यक्ति को दें !
? अधिकारी-पदासीन व्यक्ति सिवाय अन्य लोगों के साथ चर्चा कर अपना समय बर्बाद ना करें, साथ ही आपके प्रश्नों को चर्चा का विषय न बनाएँ !
? पूछताछ या चर्चा में आपके द्वारा संयम और आदर-औचित्य का पालन हो, इसका विशेष ध्यान रखें !
? आपके सभी प्रयत्न विफल हो जाएँ तो शासन-अनुरागी तथा स्वभाव से गम्भीर हों ऐसे पूज्य गुरु भगवन्तों के साथ निजी तौर पर चर्चा करें !
? आपके प्रश्नों के समाधान प्राप्ति में भी शासन कलंकित न हो, इसके लिए सतर्क रहें। इसे ध्यान में रखते हुए अन्य लोगों को विषय-वस्तु की जानकारी दिए बिना ही अपने कार्य को पूर्ण करें !
? अपने प्रश्नों के निराकरण में अहंकार को केन्द्र-बिंदु बनाकर हार-जीत या मान-अपमान का मुद्दा न बनाएँ! इससे आपकी समस्याओं का निराकरण गौण होकर शासन एवं संघ की मान-मर्यादा और प्रतिष्ठा पर आँच आ सकती है !
? शिशु अपने माँ के गर्भ में से बाहर आने के लिए भी 9 महीनों की प्रतीक्षा करता है…, इस पर गौर करें! सभी समस्याएँ एक जैसी तो नहीं होती, कुछ सामान्य तो कुछ जटिल होती हैं। अतः उनके निराकरण के लिए भी यथोचित समय तो लगेगा ही, तो कृपा करके तब तक अपना धैर्य एवं संयम बनाए रखें !
अस्तु……..
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हे प्रभु! मेरे हृदय में शासन के प्रेम की आग ज्वाला बनकर भड़क उठे… किन्तु उससे तेरे शासन को यत्किंचित् भी नुकसान न हो…
यही मेरी प्रार्थना है।
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